हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
बहते हैं आँसू ऐसे कोई झरना बह रहा हो। ख़ामोश हैं जु़बानें, कोई मुर्दा सह रहा हो। दिल टूटनें की आवाज कौन सुन सका है, सपनों का शहर मेरा अब देखो ढह रहा है।
टूटे हुए दिलों में घर किसने कब बसाया, हमें कदम-कदम पर अपनों ने सताया। शिकवा करें क्या, ये दस्तूर जिन्दगी का, सदीयों से चल रहा है, हमनें नही बनाया।