हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
आज आपने जो तुकबंदी की है वो बिलकुल सत्य है,.. मगर आपने जो लिखा की...
उस पर उठा अंगुँली
इस से बच।
इस पर उठा अंगुँली
उस से बच। बचेगा कैसे प्रभु?...जब आप किसी की और एक उन्गली उठाते है तो आपके हाथ कि तीन उन्गलीयाँ स्वतः ही आपकी और उठ जाती है,.. जरा कर के तो देखीये आप किसी को ऐक गुना बदमाश कहेन्गे तो आपकी उन्गलीयाँ आपको तीन गुना कहेगी,....:)
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कविता के लिए तुकबंदी का होना जरूरी नहीं है आप अपने भावों को कविता में बहने
ReplyDeleteदीजिए -दीपक भारतदीप
तुकबन्दी या तुकान्त कविता 'गीत' बन जाती है और 'गेय' पाठ सहज याद हो जाता है। इस लुप्त होती 'विधा' को बचाए रखें।
ReplyDeleteआज आपने जो तुकबंदी की है वो बिलकुल सत्य है,.. मगर आपने जो लिखा की...
ReplyDeleteउस पर उठा अंगुँली
इस से बच।
इस पर उठा अंगुँली
उस से बच।
बचेगा कैसे प्रभु?...जब आप किसी की और एक उन्गली उठाते है तो आपके हाथ कि तीन उन्गलीयाँ स्वतः ही आपकी और उठ जाती है,..
जरा कर के तो देखीये आप किसी को ऐक गुना बदमाश कहेन्गे तो आपकी उन्गलीयाँ आपको तीन गुना कहेगी,....:)
सुनीता चोटिया (शानू)
बात में दम है बाली जी ... मगर काव्य जिसके जीवन में उतर जाये .... वो तो बस आत्मा की आवाज़ ही सुन sakega
ReplyDeleteआपके दिल में एक कवि बसता है, आप जारी रखें-शब्द्लेख सारथी
ReplyDeleteगजब ! शब्दो ने काम किया ईसे कहते है
ReplyDeleteकम शब्दों में पूरी बात!!
ReplyDeleteआप तो अपनी सुंदर कवितायें जारी रखो, हम तो वो ही पढ़ने आते हैं आपके दरवाजे. शुभकामनाऐं.
सत्य को अच्छे ढंगसे पेश किया है।
ReplyDeleteकोई पूछे गर सवाल
ReplyDeleteउस से बच ।
सिर झुका कर कह-
"थैंक्यु वैरी मच"
बहुत गूड पाठ सिखाया आपने आज्…शुक्रिया
Cakes for Valentines Day
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