कुछ तो थी बात तेरी खामोशी में
मिलते वक्त तुझे क्यूँ रोना आया।
तुम तो हरिक बात पर मुस्कराते थे
आज किस बात पर तुझे रोना आया।
याद आई मिलन की रातें तुझे
या फिर वो प्यार भरी बातें तुझे
या कोई टूटा सपना तुझे फिर याद आया।
आज किस बात पर तुझे रोना आया।
कुछ तो है बात तेरे दिल में मगर
बात वो लब पे तेरे क्यूँ कर,आती नहीं
बहुत कोशिश की जरा मुस्काओं तुम
लब पे मुस्कराहट तेरे क्यूँ कर यारा, छाती ही नही।
तूने मुझ को कभी खामोश ना रहनें दिया
इक कतरा मेरी आँख से बहनें ना दिया
मेरी हँसी की खातिर,दुख में भी तू मुस्काया।
आज किस बात पर तुझे रोना आया।
मूझे ये मार डालेगी तेरी, खामोशी
सूनी आँखें मॆं तेरती ये, तेरी बेहोशी।
कॊई बताओं मेरे यार पे कैसा गम छाया।
आज किस बात पर तुझे रोना आया।
अति सुंदर
ReplyDeleteआप ने बेगम अख्तर की गयी ग़ज़ल की याद ताज़ा कर दी :
"एय मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया.... "
नीरज
बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteघुघूती बासूती
बहुत सुन्दर.........
ReplyDeleteकभी कभी खुद को ही पता नही चलता कि किस बात पर रोना आया... भावपूर्ण रचना !
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