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Saturday, October 11, 2008

मुक्तक माला-१३

'myspace


बहुत दम है तुम्हारी बात में हम मान लेते हैं।
तुम्हारी इस अदा पर ही तो अपनी जान देते हैं।
बहुत मगरूर हो लेकिन गजब की चाल है तेरी,
मंजिल पर पहुँचते हैं वही , जो ठान लेते हैं।

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हम मंजिल की तलाश में बहुत भटके हैं।
इस जीवन में सुख-दुख के बहुत झटके हैं।
इन से जो घबरा के रस्ते बदले अपने,
उन्हीं के रास्ते चौराहे पर आकर अटके हैं।

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3 comments:

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