हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
१ अब तो अपने भीतर ही अपनी साँसों से जख्म होनें लगे हैं। जो सजाए थे मैने सपने कभी वे रोने लगे हैं। जरा -सी हवा के झोकों से बिखर जाएंगे। शायद फिर कभी लौट कर ना आएगे। यही सोच अब सपनो मे रंग नही भरता। लगता है कोई सपना अब मेरा नही मरता। २ आज की रात चाँद भी बहुत उदास है। लेकिन मेरे लिए यह रात खास है। बादलों का छेड़ना चाँद को नही भाता। उस को शायद दिल लगाना नही आता। ३ प्यास गहरी हो ओंस भी पी जाओगे। शिकायत अपनों से कैसे कर पाओगे? मेरे मन उदास तुम कभी मत होना। अब अकेले में बैठ मत रोना।