हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
बहुत भागा ...... वक्त के साथ हो लूँ। लेकिन हमेशा पीछे छूट जाता हूँ। वक्त से हारने पर, अपने को सताता हूँ। लेकिन अब मैने वक्त के पीछे दोड़ना छोड़ दिया है। उस से मुँह मोड़ लिया है। अब वक्त पर बिछोना बिछा कर उस पर लेट गया हूँ। वक्त जहां चाहता है , मुझे ले जाता है। अब मुझे वक्त नही सताता है।