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Wednesday, September 23, 2009

तेरा खुदा जो कह रहा...


तेरा खुदा जो कह रहा, मेरा खुदा नही मानता।
आदमी को आदमी, कोई नही, यहाँ मानता।

रूतबों औ’ धन से यहाँ, आदमी का मोल है,
आदमी का दिल यहाँ कोई नही पहचानता।

अपनी ही धुन में यहाँ ,चल रहे सब बेखबर,
कितनें गुल पैरों तले, कुचलें, नहीं कोई जानता।

देख सुन खामोंश है दुनिया बनानें वाला भी,
आज दुनिया को परमजीत वो नही पहचानता।

Thursday, September 10, 2009

वक्त से आगे वक्त से पीछे


बहुत भागा ......
वक्त के साथ हो लूँ।
लेकिन
हमेशा पीछे छूट जाता हूँ।
वक्त से हारने पर,
अपने को सताता हूँ।
लेकिन
अब मैने वक्त के पीछे दोड़ना
छोड़ दिया है।
उस से मुँह मोड़ लिया है।
अब वक्त पर
बिछोना बिछा कर
उस पर लेट गया हूँ।
वक्त जहां चाहता है ,
मुझे ले जाता है।
अब मुझे वक्त नही सताता है।