हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
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Wednesday, September 23, 2009
तेरा खुदा जो कह रहा...
तेरा खुदा जो कह रहा, मेरा खुदा नही मानता।
आदमी को आदमी, कोई नही, यहाँ मानता।
रूतबों औ’ धन से यहाँ, आदमी का मोल है,
आदमी का दिल यहाँ कोई नही पहचानता।
अपनी ही धुन में यहाँ ,चल रहे सब बेखबर,
कितनें गुल पैरों तले, कुचलें, नहीं कोई जानता।
देख सुन खामोंश है दुनिया बनानें वाला भी,
आज दुनिया को परमजीत वो नही पहचानता।