ज्यादा पुरानी बात नही है। उन दिनों एक कच्ची कालोनी में रहता था। हमारे पड़ोस मे रहनें वाले एक परिवार ने बहुत मुर्गीयां पाल रखी थी।उन मे कुछ मुर्गे तो बहुत तगड़े थे कि हर कोई उन से बच कर निकलने मे ही अपनी भलाई समझता था।एक बार पता नही कैसे एक बड़े मुर्गे की टाँग टूट गई।वह मुर्गा सब मुर्गे से ज्यादा बलवान था।अब जब उस की टाँग टूट गई तो हमारे पड़ोसी ने सोचा, कि क्यूँ ना इसे बेच दिया जाए। बस फिर क्या था वह उसे बेचनें की बात कई लोगों से की।लेकिन बात बनी नही,क्यों कि वह मुर्गा तीन किलो का था।इस कारण उस की कीमत भी ज्यादा थी। कोई अकेला परिवार उसे खरीद नही सकता था।
मु्र्गे का मालिक जानता था कि यह मुर्गा ज्यादा दिनों तक जीवित नही रहेगा। इस लिए वह जल्दी ही उसे बेचना चाहता था।
मालिक का अच्छा समय था, या फिर मुर्गे का बुरा समय था। क्योंकि एक दिन बाद ही कालोनी के लड़कों ने आपस में एक क्रिकेट का मैच रख लिया। साथ में एक शर्त भी रख ली। कि जो भी मैच जीतेगा,उसे हारनें वाले खिलाड़ी को मुर्गा भोज देगा।बात तय हो गई और अगले दिन मैच के समय बहुत भीड़ हो गई।कालोनी वाले आपस मे शर्ते लगा रहे थे कि कौन- सी टीम मैच जीतेगी।
आखिर सारा दिन मैच खेला गया, और आखिर में दूसरे लड़्कों ने मैच जीत लिया। लेकिन जो टीम हारी उस टीम में मुर्गा मालिक का बेटा भी था। अब मुर्गे के भोज की तैयारी शुरू हो गई। लेकिन एक समस्या पैदा हो गई कि आखिर इस मुर्गे को मारेगा कौन?सभी ने कहा, कि पराजय वाला ही मुर्गे को मार कर बनाएगा।अब मुर्गे का मालिक फँस गया।क्यो कि उस का बेटा पराजित टीम में था,अतः उसी ने उस मुर्गे को मारनें का काम सम्भाल लिया।
मुर्गे को मारे के लिए मुर्गे का मालिक उसे पंखो से पकड़कर बाहर ले आया।लेकिन मुर्गा बहुत उछल कूद मचा रहा था।आखिर बड़ी मुश्किल से उसे काबू में किया गया।मुर्गा बहुत जोर से चिल्ला रहा था ।उस की गर्दन को काटा हुआ देखने के लिए बहुत से लोग एकत्र हो गए थे। जैसे ही उस की गर्दन काटी गई,मुर्गा तेजी से कूदा और मुर्गा मालिक के हाथ से छूट गया।मुर्गे की गर्दन तो वहीं पड़ी रही लेकिन.... मुर्गे ने बिना गरदन के ही दोड़ना शुरू कर दिया । यह सब देख कर वहाँ एक अनोखा तमाशा बन गया।सभी जोर-जोर से हँस रहे थे।लेकिन पता नही यह सब देख कर ,मुझे हँसी नही आई ,बल्कि उन सब हँसी उड़ाने वालो पर गुस्सा आया ।मुझे उस मुर्गे पर तरस आ रहा था।
वह बेचारा मुर्गा एक-दो मिनट तक भागता रहा। और अन्त में गिर गया। पता नही इतने साल बीत जाने पर भी मै उस घटना को भूल नही पाया। इसी लिए उस घटना को यहाँ लिख रहा हूँ। मै नही जानता ,..आपको यह सब घटना कैसी लगेगी?
मु्र्गे का मालिक जानता था कि यह मुर्गा ज्यादा दिनों तक जीवित नही रहेगा। इस लिए वह जल्दी ही उसे बेचना चाहता था।
मालिक का अच्छा समय था, या फिर मुर्गे का बुरा समय था। क्योंकि एक दिन बाद ही कालोनी के लड़कों ने आपस में एक क्रिकेट का मैच रख लिया। साथ में एक शर्त भी रख ली। कि जो भी मैच जीतेगा,उसे हारनें वाले खिलाड़ी को मुर्गा भोज देगा।बात तय हो गई और अगले दिन मैच के समय बहुत भीड़ हो गई।कालोनी वाले आपस मे शर्ते लगा रहे थे कि कौन- सी टीम मैच जीतेगी।
आखिर सारा दिन मैच खेला गया, और आखिर में दूसरे लड़्कों ने मैच जीत लिया। लेकिन जो टीम हारी उस टीम में मुर्गा मालिक का बेटा भी था। अब मुर्गे के भोज की तैयारी शुरू हो गई। लेकिन एक समस्या पैदा हो गई कि आखिर इस मुर्गे को मारेगा कौन?सभी ने कहा, कि पराजय वाला ही मुर्गे को मार कर बनाएगा।अब मुर्गे का मालिक फँस गया।क्यो कि उस का बेटा पराजित टीम में था,अतः उसी ने उस मुर्गे को मारनें का काम सम्भाल लिया।
मुर्गे को मारे के लिए मुर्गे का मालिक उसे पंखो से पकड़कर बाहर ले आया।लेकिन मुर्गा बहुत उछल कूद मचा रहा था।आखिर बड़ी मुश्किल से उसे काबू में किया गया।मुर्गा बहुत जोर से चिल्ला रहा था ।उस की गर्दन को काटा हुआ देखने के लिए बहुत से लोग एकत्र हो गए थे। जैसे ही उस की गर्दन काटी गई,मुर्गा तेजी से कूदा और मुर्गा मालिक के हाथ से छूट गया।मुर्गे की गर्दन तो वहीं पड़ी रही लेकिन.... मुर्गे ने बिना गरदन के ही दोड़ना शुरू कर दिया । यह सब देख कर वहाँ एक अनोखा तमाशा बन गया।सभी जोर-जोर से हँस रहे थे।लेकिन पता नही यह सब देख कर ,मुझे हँसी नही आई ,बल्कि उन सब हँसी उड़ाने वालो पर गुस्सा आया ।मुझे उस मुर्गे पर तरस आ रहा था।
वह बेचारा मुर्गा एक-दो मिनट तक भागता रहा। और अन्त में गिर गया। पता नही इतने साल बीत जाने पर भी मै उस घटना को भूल नही पाया। इसी लिए उस घटना को यहाँ लिख रहा हूँ। मै नही जानता ,..आपको यह सब घटना कैसी लगेगी?
कटे सिर के बाद भी दस-बीस मिनट तक भागने का रेंज। इतना बड़ा रेंज काहे रख दिए, थोड़ा कम रखते ;)
ReplyDeleteलड़वैयों के सिर कट जाने के बाद भी घड़ी दो घड़ी लड़ने के वर्णन वाल्मीकि से लेकर गोंसाईं जी तक ने किए हैं। जाने बिना देखे कैसे लड़ते होंगे ! ...ये मुर्गा भी पुरातन काल में ऐसा लड़वैया रहा होगा। दुर्दिन जो न दिखाए नहीं तो किसी महाकाव्य में स्थान पा चुका होता।..
वैसे कटने के पहले उसकी टाँग ठीक हो गई थी क्या? नहीं तो दौड़ता कैसे?
मुर्गों के डाक्टर सिद्धहस्त होते हैं शायद ;)
rochak !magar dukhad bhee !
ReplyDeletekaise ek jivit prani ko kat sakte hai,padhke hi murge par daya aa gayi.kuch hadse dard ki ti chod jaate hai .
ReplyDeleteबहुत रोचक और रोमाचित कर देने वाली पोस्ट. आभार
ReplyDeleteगाँधी शास्त्री जयंती पर शुभकामनाये
बाली साहब, जब मुर्गा इतना रोचक था, तो उसकी मीट कितनी स्वादिष्ट रही होगी !!
ReplyDeleteओह, मुझे भी तरस आ रहा है।
ReplyDeleteबेचारा! :(
ReplyDeletebahut hi dukhad aur dardnak ghatna.............pata nhi aapne kaise dekha hoga agar main hoti to behosh ho jati.
ReplyDeleteउस का तडपना सोच कर ही मुझे बुरा लग रहा है, केसे लोग किसी जानवर का मीट खा लेते है....
ReplyDeleteलोग मुर्गा, बकरा, भेड़, गाय -भैंस. पक्षी, मछली, सूअर सबकुछ मार-काट कर खा जाते हैं, फिर कहते है बड़ी दया आती है तड़पते जानवरों पर
ReplyDeletepadh kar taras to aaya............
ReplyDeleteshayad isiliye main pichle bees saalon se shaakahaari ho gaya............
आज जहाँ एक इन्सान् दूसरे इन्सान को काटने में संकोच नहीं करता,वहाँ मुर्गे के बारे में भला कौन विचार करने वाला है.....लेकिन जो भी है, ऎसा दृ्श्य देखना हमारे तो बस की बात नहीं...
ReplyDeleteपढ़ कर मन द्रवित हो उठा।
ReplyDeleteपूनम
ek taraf jeet.dusri taraf murge ki bechaini....kya kahun!
ReplyDeleteबेचारा मुर्गा तो कट ही गया---अब अफ़सोस जता कर क्या कर पाऊंगा?
ReplyDeleteहेमन्त कुमार
पहली टिप्पणी के लिए कुछ सफाई पेश होनी चाहिए, तब मुझे भी तरस आएगा !
ReplyDeleteROCHAK LIKHA HAI .... AAPKA MURGA BHI KAMAAL KA HAI ...
ReplyDelete@राव जी आप की बात सही है दस बीस नही दो चार मिनट।गल्ती के लिए खेद है;((
ReplyDeleteपरमजीत जी,मुर्गे का यही हश्र होना था, मुर्गे होते ही बड़े जीवट है, चलो उन लोगो ने पकड़ के काट तो लिया,नही तो लंगड़ा ही भाग सकता था,बढिया स्मरण है जिजिविषा को लेकर,
ReplyDeleteआज कल पोल्ट्री फार्म खोले ही इसीलिए जाते हैं कि मुर्गों को खाने वालों को ये बराबर मिलते रहे.
ReplyDelete"कटना" उनकी नियति ही है, पर अब तो लोग इंसानों को भी तरह -तरह से हलाल कर रहे हैं, पूरी तरह मारते भी नहीं, किस्त दर किस्त मौत दे रहे हैं, लंगडा कर चलने को भी मजबूर किया जा रहा है, उसका क्या..........
आपकी कहानी से ही शायद कोई सबक ले, पर अब शायद लोग "अंगुलिमाल" भी तो नहीं रहे, अब तो "मालामाल" हैं
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
Bali ji, sir kate murge ka dodhna vakai hridaya vidarak raha hoga?!
ReplyDeleteme kuch nhi janti blog ke bare me,husband ke sath bedhi in lines ko pdha to dil tdp gya, kash jindo ko markar khane walo ke sath kuch aisa ho jo wo is dard ka ahsas kar sake, samjh sake ki jab ek jiv ka dam niklta hai to kitni taklif hoti hai...
ReplyDeletelekin ye bat un logo ko samjh me nhi ayegi jo lash ko khane me apni shan samjhte hai...
बहुत दिन बाद आपके ब्लाग पर आयी। कई बार देखा था पोस्ट नहीं होती थी आप कब वापिस आये पता नहीं चला क्षमा चाहती हूँ । आपकी पोस्ट पढ कर मन द्रवित हो उठा । मार्मिक घटना है । धन्यवाद और शुभकामनायें
ReplyDeleterochak aur marmik.
ReplyDeletebahut hi sunder likha hai
ReplyDeletesanjay
haryana
man baith gaya pad kar
ReplyDeleteरोचक।
ReplyDeleteकुछ चीजे अंदर तक झकझोर कर रख देती है कहावत सही ही है "मुर्गी जान से गई और खाने वाले को मजा ही नही आया "
ReplyDeleteआपके के इस मार्मिक संस्मरण ने मुझे अपनी माँ कि याद दिला दी |माँ ने उनके बचपन में शायद वो ७ या ८ साल कि रही होगी तब किसी गली में मुर्गा कटते देख लिया था वही वो बेहोश हो गई थी उसके बाद सारी जिंदगी
मुर्गे को देखते ही उनके बदन में पसीना आने लगता और कापने लगती और इस डर से जहा (बहुत काम बाहर निकलती थी )कहीं भी जाना हो पूछ लेती क्या आसपास कोई मुर्गा या उसके पंख तो नही है |बहुत कोशिश कि
उनका डर भगाने कि लेकिन कोई फायदा नही हुआ |
जाने कैसे चाव से खाते है लोग ?
बहुत मार्मिक संस्मरण है।
ReplyDeleteयह तो क्रूरता की पराकाष्टा है।
क्या आपको नहीं लगता हिंसा देख-देख कर हमारे भीतर छुपा पिशाच प्रमुदित होने लगता है....और एक दिन हमें हिंसक होना रास आ जाता है....... आज चारों दिशाओं में यही हो रहा है....जागृत रहें अच्छा पढ़ें, देखें, सुनें....
ReplyDeleteबहुत मार्मिक घटना का ज़िक्र किया है....पढ़ कर ही मन भीग गया
ReplyDeleteआपने कैसे देखा होगा?
दुखी हो गयी आपकी कहानी पढ कर ।
ReplyDeleteदुनिया में ऎसे लोग भी हॆं,जो दूसरों के तडफने में भी,आनंद लेते हॆ.यह कॆसी मानवता हे
ReplyDeleteअति सुन्दर भाई . बधाई!!
ReplyDeleteदीपावली पर आपको और परिवार को शुभकामनायें !
ReplyDeleteafsosjanak
ReplyDeleteलगभग २० साल पहले ठीक ऐसी घटना से द्रवित होकर मैंने मांसाहार को तिलांजलि दे दी थी
ReplyDeleteपढ कर मन दुखी हो गया
ReplyDeleteदीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत मार्मिक घटना का ज़िक्र किया है.यह तो क्रूरता है।
ReplyDeleteसुख, समृद्धि और शान्ति का आगमन हो
जीवन प्रकाश से आलोकित हो !
★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
ताऊ किसी दूसरे पर तोहमत नही लगाता-
अपनी खिल्ली उडाकर ही हास्य के रुप मे
व्यंग करता है-रामपुरिया जी
आज सुबह 4 बजे हमारे सहवर्ती हिन्दी ब्लोग
मुम्बई-टाईगर
ताऊ की भुमिका का बेखुबी से निर्वाह कर रहे आदरणीय श्री पी.सी.रामपुरिया जी (मुदगल)
जो किसी परिचय के मोहताज नही हैं, आप सभी उनको एक शीर्ष ब्लागर के रूप मे पहचानते हैं।
रामपुरिया जी ने हमको एक छोटी सी बातचीत का समय दिया।
आपको भी उस बातचीत से रुबरू करवाते हैं।
♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर
Sar kata huadekh kar bhi log apne ant ko nahi "Pahchaan paye.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteye to is duniya ke andhe logo ki kartut hai ... jinhe dikhai nahi deta unki jara si der ki bhukh aur maje ke liye koi apni apna sada ke liye kho raha hia ... appka swagat mere blog par and comment Visit Kaun Mujhe Batayega
ReplyDeleteyozgat
ReplyDeletetunceli
hakkari
zonguldak
adıyaman
C4KTQV
Maraş Lojistik
ReplyDeleteHatay Lojistik
Tokat Lojistik
Elazığ Lojistik
Aksaray Lojistik
P3İL
455A8
ReplyDeletebuy testosterone enanthate
Bursa Evden Eve Nakliyat
Mardin Evden Eve Nakliyat
Bitcoin Nasıl Alınır
https://steroidsbuy.net/steroids/
Samsun Evden Eve Nakliyat
boldenone
Tokat Evden Eve Nakliyat
Kayseri Evden Eve Nakliyat
76CB9
ReplyDelete%20 binance referans kodu
09AE4
ReplyDelete%20 referans kodu
F182E
ReplyDeleteen iyi sesli sohbet uygulamaları
denizli kızlarla rastgele sohbet
ığdır canlı sohbet
rastgele sohbet
istanbul sesli sohbet sesli chat
antalya telefonda canlı sohbet
malatya görüntülü sohbet kadınlarla
ağrı ücretsiz sohbet odaları
chat sohbet
2EF9C
ReplyDeletemardin en iyi ücretsiz sohbet uygulamaları
bursa rastgele görüntülü sohbet uygulaması
kocaeli canlı görüntülü sohbet
rastgele sohbet siteleri
sinop tamamen ücretsiz sohbet siteleri
sohbet chat
edirne chat sohbet
random görüntülü sohbet
kırklareli parasız sohbet siteleri
CAA53
ReplyDeleterastgele sohbet odaları
Afyon Ücretsiz Sohbet Uygulamaları
istanbul muhabbet sohbet
bingöl telefonda kadınlarla sohbet
çanakkale yabancı görüntülü sohbet siteleri
sohbet sitesi
Ardahan Görüntülü Sohbet Canlı
kilis sesli sohbet siteler
canlı sohbet et
4DFF5
ReplyDeleteKripto Para Nasıl Üretilir
Referans Kimliği Nedir
Discord Sunucu Üyesi Hilesi
Binance Referans Kodu
Coin Kazanma
Spotify Dinlenme Hilesi
Bitcoin Çıkarma Siteleri
Ergo Coin Hangi Borsada
Binance Sahibi Kim
56D9F
ReplyDeleteSohbet
Görüntülü Sohbet Parasız
Soundcloud Dinlenme Satın Al
Nonolive Takipçi Satın Al
Loop Network Coin Hangi Borsada
Mefa Coin Hangi Borsada
Twitch İzlenme Hilesi
Bitcoin Nasıl Üretilir
Bonk Coin Hangi Borsada
9FEE5
ReplyDeleteYoutube İzlenme Satın Al
Snapchat Takipçi Satın Al
Coin Oynama
Nexa Coin Hangi Borsada
Binance Borsası Güvenilir mi
Pinterest Takipçi Hilesi
Twitch İzlenme Satın Al
Kwai Beğeni Satın Al
Binance Kimin
2FF16
ReplyDeleteledger
ledger live wallet web
wallet ledger live
trezor
ellipal wallet web
bitbox
trust wallet
wallet avax
desktop ledger