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Saturday, November 20, 2010

कोई ढूंढ के लाओ.......

कोई ढूंढ के लाओ सपने मेरे,
कहाँ खो गए अपने मेरे।
ना जानें क्यूँ  याद बहुत आती हैं,
सदा रहती हैं जो घेरे। 
 
जीनें को जीए जाते हैं यहाँ,
गम  हँस के पीए जाते हैं यहाँ,
बहकाती हैं हावायें मुझे छू छू के ,
हर हवा कहती है चल संग मेरे।

कोई ढूंढ के लाओ सपने मेरे,
कहाँ खो गए अपने मेरे।

सागर भी मुझे बुलाता है,
अपनी लहरों मे छुपाना चाहता है।
समझ आता नही जाँऊ मैं कहाँ...
सोच रहती है मुझे बस, यही घेरे।


कोई ढूंढ के लाओ सपने मेरे,
कहाँ खो गए अपने मेरे।