कोई ढूंढ के लाओ सपने मेरे,
कहाँ खो गए अपने मेरे।
ना जानें क्यूँ याद बहुत आती हैं,
सदा रहती हैं जो घेरे।
जीनें को जीए जाते हैं यहाँ,
गम हँस के पीए जाते हैं यहाँ,
बहकाती हैं हावायें मुझे छू छू के ,
हर हवा कहती है चल संग मेरे।
कोई ढूंढ के लाओ सपने मेरे,
कहाँ खो गए अपने मेरे।
सागर भी मुझे बुलाता है,
अपनी लहरों मे छुपाना चाहता है।
समझ आता नही जाँऊ मैं कहाँ...
सोच रहती है मुझे बस, यही घेरे।
कोई ढूंढ के लाओ सपने मेरे,
कहाँ खो गए अपने मेरे।
इसे पढकर ऐसा लगा मानों कवि की सोच, अनुभूति, स्मृति और स्वप्न सब मिलकर काव्य का रूप धारण कर लिया हो। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteफ़ुरसत में .... सामा-चकेवा
विचार-शिक्षा
अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteकोई ढूंढ के लाओ सपने मेरे,
ReplyDeleteकहाँ खो गए अपने मेरे।
ना जानें क्यूँ याद बहुत आती हैं,
सदा रहती हैं जो घेरे।
bahut khub!! bahut pyara dard ubhar aaya hai.......!!
बहुत पसन्द आया
ReplyDeleteहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
जीनें को जीए जाते हैं यहाँ,
ReplyDeleteगम हँस के पीए जाते हैं यहाँ,
बहकाती हैं हावायें मुझे छू छू के ,
हर हवा कहती है चल संग मेरे ...
कुछ कुछ उदासी लिए ... पर दिल में उतरती हुयी ... लाजवाब रचना है ..
कोई ढूंढ के लाओ सपने मेरे,
ReplyDeleteकहाँ खो गए अपने मेरे।
ना जानें क्यूँ याद बहुत आती हैं,
सदा रहती हैं जो घेरे।
बहुत सुन्दर भाव संग्रह्।
यही खोज तो जीवनभर चलती है।
ReplyDeleteसच मे जीने की आपाधापी में अपने और सपने दोनो खो जाते है
ReplyDeleteमन से निकले भाव हमेशा सुंदर रचना का आकार ही लेते हैं. सो आपकी ये रचना बहुत अच्छी मार्मिक रचना लगी.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता है. मन के भाव जैसे आकार ले रहे हों...
ReplyDeleteहर हवा कहती है चल संग मेरे।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पंक्ति, सुन्दर गीत। बधाई।
बेहतरीन रचना। लेकिन खो गये सपने फिर कहाँ मिलते हैं। शुभकामनायें।
ReplyDeleteDil kee udasee jab shabdon me utarti hai to kawita ban jatee hai. Sunder prastuti
ReplyDeletebahut sundar rachna!
ReplyDeleteजीनें को जीए जाते हैं यहाँ,
ReplyDeleteगम हँस के पीए जाते हैं यहाँ,
बहकाती हैं हावायें मुझे छू छू के ,
हर हवा कहती है चल संग मेरे।
bahut hi achhi rachna ...
vatvriksh ke liye apni rachnayen -nazariyaa aur ek murge kee maut bhejen , parichay tasweer aur blog link ke saath rasprabha@gmail.com per
hriday se nikli hook hai jaise.
ReplyDeleteAti Sunder.
बहकाती है हवा छू छू के...... अजी कोई कैसे ढूँढ के लाए भला, जब वो खुद आपके अंदर ही है.
ReplyDeleteवैसे ये आपकी ही तस्वीर है न!