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Saturday, March 5, 2011

किस से कहे कोई......




किस से कहे कोई यहाँ आज दिल की बात को।
हर कोई छुपा करके बैठा है.. दिल मे  घात को।


जिसको पुकारा वह सुनके, आज तक आया नही।
देख कर दुख होता है..... ईमान की इस मात को।


हर तरफ सियार, भेड़िये, पिशाच यहाँ  दिख रहे।
दिन को अगर ये हाल है क्या होगा काली रात को।


अपने को ही आज यहाँ ....हर कोई समझा रहा।
दोष सब दूजों का है यहाँ ,समझ सारी बात को।



किस से कहे कोई यहाँ आज दिल की बात को।
हर कोई छुपा करके बैठा है.. दिल मे  घात को।