हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
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वाह बाली जी क्या खूब कही है । सीमित शव्दों में पूर्ण भाव का उदगार ।
ReplyDeletebahut sunder maan bhaatii
ReplyDeleteबहुत अच्छी क्षणिका है ।एकदम सही बात।
ReplyDeleteबिलकुल सही!उत्तर में भी एक प्रश्न नया...
ReplyDeleteकुछ उत्तर प्रशनो पर भारी हैं
ReplyDeleteतभी तो ये कूप्रथा जारी है
बहुत सही!! छोटी रचना गहरी बात.
ReplyDeleteअच्छा लगा पढ़कर ....बधाई
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