Friday, July 27, 2007

निरूत्तर(क्षणिका)


आज

सभी अपनी-अपनी

टूटी नौकाएं

खेते हैं

इसी लिए

हर प्रश्न का उत्तर

एक नये प्रश्न से

देते हैं।

7 comments:

  1. वाह बाली जी क्‍या खूब कही है । सीमित शव्‍दों में पूर्ण भाव का उदगार ।

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  2. बहुत अच्छी क्षणिका है ।एकदम सही बात।

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  3. बिलकुल सही!उत्तर में भी एक प्रश्न नया...

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  4. कुछ उत्तर प्रशनो पर भारी हैं
    तभी तो ये कूप्रथा जारी है

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  5. बहुत सही!! छोटी रचना गहरी बात.

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  6. अच्छा लगा पढ़कर ....बधाई

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