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Monday, July 30, 2007

तुम कितनी प्यारी हो




पहले
बचपन से
किशोर हुआ
अब आ चुकी है
जवानी ।

तुम सदा सुनाती रही
मुझ को
रोज नयी
कहानी ।

तुम कितनी प्यारी हो
नानी ।

आज जब मैनें चाहा
उँडेलू तुझ पर जो
प्यार तूने मुझे
जीवन भर दिया ।


तेरे हाथों का
कोमल स्पर्श
जिस को मैनें हर पल
महसूस किया ।

अनायास क्यूँ रूठी
मुझ से
खुद भी
बन गई कहानी।

तुम कितनी प्यारी थी
नानी।


वह जो मुझ को
अपनी मीठी-सी बोली में
कभी लोरी सुनाती
मेरे ही बचपन को
मुझको ही
कहानी बना कर
अब तक थी सुनाती


अब यादों मे बस कर
अमर हो गई
मेरे भीतर
एक महक बो गई


आज भी अक्सर
सपनों में आती है
वैसे ही
लोरी गाती है

आज भी
सुनाई देती है
उस की बानी


तुम कितनी प्यारी हो
नानी।

तुम कितनी प्यारी हो
नानी।

9 comments:

  1. अहा! नानी याद दिला दी आपने तो परमजीत जी...

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  2. बहुत सरल भाषा में अच्छा लिखा। नानी याद आ गयीं होंगी बहुतों को!

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  3. 'नानी' और 'कहानी' ने बचपन की याद ताजा कर दी।

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  4. नानी वाला प्यार और कोई नहीं दे सकता.

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  5. i never met my nani as she expired when my mother was just 3 months but i have fondests memeories of my dadi and your poem evoked them

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  6. नानी , बहुत मार्मिक विषय पर आपने लिखा है दोस्‍त ।

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  7. वाकई, आपने नानी जी को बहुत खूबसूरती से याद किया है. उनकी याद को हमारा नमन. यह सभी की भावना बयानी करती रचना है.

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  8. कुछ पल जी उठे, कुछ खुशी दे गये और कुछ दर्द भी

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  9. वाहSSSS यह भी खुब रही…।

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