पहले
बचपन से
किशोर हुआ
अब आ चुकी है
जवानी ।
तुम सदा सुनाती रही
मुझ को
रोज नयी
कहानी ।
तुम कितनी प्यारी हो
नानी ।
आज जब मैनें चाहा
उँडेलू तुझ पर जो
प्यार तूने मुझे
जीवन भर दिया ।
तेरे हाथों का
कोमल स्पर्श
जिस को मैनें हर पल
महसूस किया ।
अनायास क्यूँ रूठी
मुझ से
खुद भी
बन गई कहानी।
तुम कितनी प्यारी थी
नानी।
वह जो मुझ को
अपनी मीठी-सी बोली में
कभी लोरी सुनाती
मेरे ही बचपन को
मुझको ही
कहानी बना कर
अब तक थी सुनाती
अब यादों मे बस कर
अमर हो गई
मेरे भीतर
एक महक बो गई
आज भी अक्सर
सपनों में आती है
वैसे ही
लोरी गाती है
आज भी
सुनाई देती है
उस की बानी
तुम कितनी प्यारी हो
नानी।
तुम कितनी प्यारी हो
नानी।
अहा! नानी याद दिला दी आपने तो परमजीत जी...
ReplyDeleteबहुत सरल भाषा में अच्छा लिखा। नानी याद आ गयीं होंगी बहुतों को!
ReplyDelete'नानी' और 'कहानी' ने बचपन की याद ताजा कर दी।
ReplyDeleteनानी वाला प्यार और कोई नहीं दे सकता.
ReplyDeletei never met my nani as she expired when my mother was just 3 months but i have fondests memeories of my dadi and your poem evoked them
ReplyDeleteनानी , बहुत मार्मिक विषय पर आपने लिखा है दोस्त ।
ReplyDeleteवाकई, आपने नानी जी को बहुत खूबसूरती से याद किया है. उनकी याद को हमारा नमन. यह सभी की भावना बयानी करती रचना है.
ReplyDeleteकुछ पल जी उठे, कुछ खुशी दे गये और कुछ दर्द भी
ReplyDeleteवाहSSSS यह भी खुब रही…।
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