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Wednesday, August 1, 2007

खंडित-विचार



आज जो बीज
तुमने बोया है
उस का फल
उस बीज के

वृक्ष बनने पर
तब नजर आएगा
जब उस पर फल आएगा ।

अभी से उस के
कटु या मधुर होनें का
अनुमान लगाना
मात्र ऐसा ही है
जैसे कल्पनाऒं के घोड़े दोड़ाना
एक बेसुरा गीत गाना ।


जिसे तुमनें

मीठा समझ बोया था

जरूरी नही

वह मीठा ही निकले

समय का फैर

उस स्वाद को

बदल सकता है

तुम्हारे सपनों को

मसल सकता है


सब का पथ
एक-सा नही होता
हरिक बच्चा
भूख से नही रोता
हरिक के अपने-अपने कारण हैं
हरिक के अपने-अपने निवारण हैं



मेरे करने से अगर कुछ होता
यहाँ कोई नही रोता
कौन चाहता है
नही सुखी होना
फूलों की जगह
काँटों को बोना
मगर कहीं कुछ
अनबूझा भी है
उस के बिना
किसी को कब कुछ
सूझा भी है




जब तक समर है भीतर
तुम सदा हारोंगे
अपने आप को कभी
दूजों को मारोगे

4 comments:

  1. जिसे तुमनें
    मीठा समझ बोया था
    जरूरी नही
    वह मीठा ही निकले
    समय का फैर
    उस स्वाद को
    बदल सकता है

    सुंदर पंक्तियाँ

    ReplyDelete
  2. जब तक समर है भीतर
    तुम सदा हारोंगे
    अपने आप को कभी
    दूजों को मारोगे

    vaah kyaa baat kahee
    deepak bharatdeep

    ReplyDelete
  3. बहुत सही लिखा है जीवन की अपूर्णता इन्सान पर सदा हावी रहती है। ऐसा लगता रहता हैं कि कुछ कमी रह गई है कही ना कही।

    मेरे करने से अगर कुछ होता
    यहाँ कोई नही रोता
    कौन चाहता है
    नही सुखी होना
    फूलों की जगह
    काँटों को बोना
    मगर कहीं कुछ
    अनबूझा भी है
    उस के बिना
    किसी को कब कुछ
    सूझा भी है

    ReplyDelete
  4. Saaree hee panktiyaan sundar hai!!
    Paramjeet jee aapkee tippanee milee."Neele Peele Phool"kathaa aapko pasand aayee padhke badee khushee huee.Aap zaroor is kahaneekaa link apne blog pe de sakte hai!Mujhe khushee hogee!
    Dhanyawaad!
    aapkee namr
    shama

    ReplyDelete

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