हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
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Bahut khoob!!
ReplyDelete:( :)
ReplyDeleteक्या बात है बाली जी. आजादी पर असली टिप्पणी तो आपने की है. हम तो सराहना कर रहे हैं.
ReplyDeleteबहुत सही. :)
ReplyDeleteगजब! भाई आपको मान गये।
ReplyDeleteदीपक भारतदीप
बात कड़वी है मगर सच्ची है
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