हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
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ये क्या है?....हें...हें..हें ...
ReplyDeleteहा हा हा, मजेदार। भूतसम्राट की बात सही है।
ReplyDeleteबधाई हिन्दी में कार्टूनिंग शुरु करने पर।
यहाँ हँसी की फ़ैक्ट्री लगी लगती है...हेहेहे हीहीही हाहाहा
ReplyDelete:)
शानू
यह हमारा हा हा हा की तीन बूँद भी रख लें इस हँसी के सागर में.
ReplyDeleteमजा आ गया
ReplyDeleteदीपक भारतदीप