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Monday, October 29, 2007

एक गलत तलाश

कहीं


कुछ तो है


जो तलाश बनी रहती है भीतर


एक खालीपन को


भरनें के लिए



यह बात अलग है-


हम उस खालीपन को


अपनी मरजी से


भरना चाह रहे हैं।



शायद इसी लिए


पहले से भी ज्यादा


खाली होते जा रहे हैं।

9 comments:

  1. गहरी सोच

    लिखते रहें

    संजय गुलाटी मुसाफिर

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  2. सुंदर भाव……किसी हद तक सच भी ……

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  3. excellent choice of words and very expressive . many meanings great piece of writing

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  4. बेहतरीन!!!

    हो जाने दो खाली...मगर जब भी भरना अपनी मर्जी से ही भरना वरना तो भरा भी खाली ही समझो. :)

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  5. निश्चित ही आज हम अपने खालीपन को ही तलाश कर रहे हैं और वह है बालपन… जिसकी चंचल कविता मिटती जा रही है… बहुत सही टटोला है मन के आवेगों को… बहुत अच्छा लगा हमेशा की तरह पर एक-दो पंक्तियाँ और…
    मन नहीं भरा…।

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  6. बहुत सुन्दर भाव !
    घुघूती बासूती

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  7. देखा जो आईना तो भरम, मेरा भी टूटा।


    जाना जो सच मैनें, तो अपने आप से रुठा।
    -----------------------------
    क्या बात है आजकल उदासी से भरि कविताएं लिख रहैं हैं।
    दीपक भारतदीप

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  8. Hello Param Sir,

    Thank you so much! I am blessed that you left your footprint in my blog! I found it inquisitive. And then I started to read your blog today in morning. Aapka blog achha hai or mujhe aapke blog se bahut kuchh hindi mei padhne or sikhne ko milega. I am happy. Please do suggest me so that i can improve my lekhni.

    I liked these lines very much.

    "कहीं
    कुछ तो है
    जो तलाश बनी रहती है भीतर
    एक खालीपन को
    भरनें के लिए"

    few lines from my side-

    "खालीपन की कविताएँ,
    कभी खाली नही होता,
    भरता है यह भावों से,
    फिर अधूरा नही लगता!"

    Main aapse bahut choty hun, koi galtiyan ho to plz maaf kar mujhe suggest karna aap.

    Thnx & rgds,
    Rewa Smriti.
    www.rewa.wordpress.com

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  9. A little correction needed....dhyan nahi raha likhte waqt....sorry

    here is in corrected version:-

    खालीपन की कविताएँ,
    कभी खाली नही होती,
    भरता है यह भावों से,
    फिर अधूरी नही लगती!

    rgds,
    www.rewa.wordpress.com

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