हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
bheetar kee raushni ...ye vo raushni hai jo aade vakt par khoob kaam aati hai ..jiske saamne andhera tikta nahi....magar lau jalaana itna aasaan bhi nahi ...
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सुंदर कविता. बात तो बहुत पते की बताई जी आपने. पर सही आदमी मिले कंहा और पता भी कैसे चले कौन सही और कौन ग़लत. हाँ कोशिश जरुर कर सकते है.
ReplyDeletebheetar kee raushni ...ye vo raushni hai jo aade vakt par khoob kaam aati hai ..jiske saamne andhera tikta nahi....magar lau jalaana itna aasaan bhi nahi ...
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