मरनें दो उसे!!!
जी कर भी क्या करेगा?
अपने को साबित करना
वह कब का भूल चुका।
सफेद कफन ओड़े
संवेदनाओं से हीन है,
संज्ञा से हीन है,
वह बहुत दीन है।
पतझड है चारों ओर
कहता बसंत छाया।
पंछी बिन पंख उड़ता
कहता आकाश पाया।
ना मालूम किस दुनिया में
बैठा है सपनें बुनता
सपनों को बुननें में
कितना तल्लीन है।
वह बहुत दीन है।
जिन्दा है रहना मुश्किल
चलना भी दूभर हुआ
कदम-कदम गिरता है
घायल है लहूलुहान हुआ
देखा -सुना सबनें
बजती जैसे भैसों के आगे
वही पुरानी बीन है।
वह बहुत दीन है।
भाई बहुत सुंदर...ये आज का सच नहीं..कडुआ सच है...बेहतरीन रचना. वाह...
ReplyDeleteनीरज
कटु और नग्न सत्य.
ReplyDeleteकविता के माध्यम से अच्छा बयां किया आपने.
वाह ! बहुत सुंदर ..अच्छी लगी आपकी यह कविता
ReplyDeleteअच्छा है सर. अच्छी नज़र डाली है सच पर. क्या करें ? कमबख्ती के मारे हैं, यही सच है.
ReplyDeleteजीवंत रचनाएँ लिखने वाला, आज कहाँ खो गया।
ReplyDeleteरचना बहुत ही अर्थपूर्ण और लयबद्ध है।
जीवन के कटु सत्य को उजागर करती सुंदर रचना के लिए धन्यवाद,बाली जी.
ReplyDeleteSupercomputers in Hindi
ReplyDeleteData Science in Hindi
Malware in Hindi
Information Technology in Hindi
Robot in Hindi
Application Software in Hindi
Desktop in Hindi
Emoji in Hindi
Technology in Hindi
Nice post thankyou sir
ReplyDelete