Pages

Wednesday, February 27, 2008

मौन



बस! अब रहनें दो!

बहुत कह चुके तुम से

हर बार हमारे प्रश्न पर मौन रहना,

अब तुम्हारी आदत बन चुकी है।



बहुत भागता रहा हूँ-

उन के लिए जो कभी किसी काम की नही,

बस संग्रह है।

बहुत बहस करता रहा हूँ-

उस के लिए जो कभी खतम होती नही,

समय की बर्बादी है।



इसी लिए अब मैनें -

तुम्हारे मौन को ,

अपना उत्तर बनाया है

2 comments:

  1. इसी लिए अब मैनें -

    तुम्हारे मौन को ,

    अपना उत्तर बनाया है
    bahut sahi

    ReplyDelete

आप द्वारा की गई टिप्पणीयां आप के ब्लोग पर पहुँचनें में मदद करती हैं और आप के द्वारा की गई टिप्पणी मेरा मार्गदर्शन करती है।अत: अपनी प्रतिक्रिया अवश्य टिप्पणी के रूप में दें।