हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
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Saturday, September 20, 2008
नजरिया
मेरा सच तुम्हारा भी सच हो यह हमेशा जरूरी तो नहीं होता। रोना बच्चों का स्वाभाव है। लेकिन सिर्फ भूख के लिए - हर बच्चा तो नही रोता।
क्या बात है परमजीत बाली जी, आपकी इन पंक्तियों पर मेरा यह कह्हे के मन कर रहा है दीपक भारतदीप --------------- चेहरे पर हंसी होने का मतलब हमेंशा दिल का खुश होना नहीं होता कई लोग खिलखिलाते हैं दूसरों को हँसाने के लिए ताकि उनके पेट की भूख मिट जाए आंसू बहाना भी हमेंशा रोना नहीं होता कुछ लोग रोते हैं दूसरे को दहलाने के लिए ताकि चंद सामान मिल जाए अपने मन की भूख मिटाने के लिए इंसान खेलता है जज्बातों के साथ जो उसके लिए कभी पराया तो कभी अपना होता ----------------------------------------------------
क्या बात है , इसे पढ़कर मुझे भी कुछ कहने का जी कह गया -- हँसते हुए चेहरे के पीछे भी रोते रहते हैं कई आँखे खुली होने पर भी सोते रहते है कई कुछ न नजर आने पर भी हादसे होते रहते है कई
मेरा सच तुम्हारा सच नहीं हो सकता ,बात बहुत छोटी मगर बहुत गहरी ,एक गहन चिंतन की अपेक्षा करती हुई ,मेरी समझ में नही आता की मेरा सच किसी और का सच्नाहीं हो सकता पर कितना विचार करूं-दर्शनशास्त्र देखू या प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में खोजूं किसी रात नींद उचाट गई तो इसपर विचार करूंगा वैसे दिल दी डायरी में भी और एक जेब में रखे पुर्जे पर भी नोट करलिया है कि किसी एक का सच दूसरे का सच नहीं हो सकता और कभी हुआ भी होगा तो वे कौनसी परिस्थितियां रहीं होंगी जब ऐसा हुआ होगा
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क्या बात है, कितनी गहरी बात कह गये, परमजीत!!! छा गये भाई..बधाई!!!
ReplyDeleteyou are very true.
ReplyDeleteक्या बात है परमजीत बाली जी, आपकी इन पंक्तियों पर मेरा यह कह्हे के मन कर रहा है
ReplyDeleteदीपक भारतदीप
---------------
चेहरे पर हंसी होने का मतलब हमेंशा
दिल का खुश होना नहीं होता
कई लोग खिलखिलाते हैं दूसरों को
हँसाने के लिए
ताकि उनके पेट की भूख मिट जाए
आंसू बहाना भी हमेंशा रोना नहीं होता
कुछ लोग रोते हैं दूसरे को दहलाने के लिए
ताकि चंद सामान मिल जाए
अपने मन की भूख मिटाने के लिए
इंसान खेलता है जज्बातों के साथ
जो उसके लिए कभी पराया तो कभी अपना होता
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bhut badhiya. jari rhe.
ReplyDeletenice thought
ReplyDeleteवाह कीतना अच्छा कविता लीखें हैं।
ReplyDeleteबहुत गहराई है।
धन्यवाद!
Namskar or Jharkhadi Johar
ReplyDeleteAAp ki rachan bhaw ko chuti hai. kuchh new meli aysi ummid humeri hai.
kam lafzon me kitni gambheer baat kahi hai.....
ReplyDeletemain vismit hun,tarif ke shabd kam padenge
कम शब्दों में बहुत कहा।
ReplyDeleteरोना बच्चों का स्वाभाव है।
ReplyDeleteलेकिन
सिर्फ भूख के लिए -
हर बच्चा तो नही रोता।
"very deep thought from heart"
Regards
baat kum shabdon mein hai lekin gehri hai.
ReplyDeletedhanyabad
harminder singh
(vradhgram)
क्या बात है , इसे पढ़कर मुझे भी कुछ कहने का जी कह गया --
ReplyDeleteहँसते हुए चेहरे के पीछे भी रोते रहते हैं कई
आँखे खुली होने पर भी सोते रहते है कई
कुछ न नजर आने पर भी हादसे होते रहते है कई
बहुत सुन्दर और सारगर्भित।
ReplyDeleteमेरा सच तुम्हारा सच नहीं हो सकता ,बात बहुत छोटी मगर बहुत गहरी ,एक गहन चिंतन की अपेक्षा करती हुई ,मेरी समझ में नही आता की मेरा सच किसी और का सच्नाहीं हो सकता पर कितना विचार करूं-दर्शनशास्त्र देखू या प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में खोजूं किसी रात नींद उचाट गई तो इसपर विचार करूंगा वैसे दिल दी डायरी में भी और एक जेब में रखे पुर्जे पर भी नोट करलिया है कि किसी एक का सच दूसरे का सच नहीं हो सकता और कभी हुआ भी होगा तो वे कौनसी परिस्थितियां रहीं होंगी जब ऐसा हुआ होगा
ReplyDeletemera sach tumhara b sach ho ye jaruri to nahi kya baat hai sir ji. maja a gaya vakai kam shabdo me bahut kuch kah diya apne
ReplyDeletesirf bhukh keliye tobachha nhi rota
ReplyDeleteye pnktiya mn ko choo gai.
gagr me sagr bhr li aapne.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसिर्फ भूख के लिए -
ReplyDeleteहर बच्चा तो नही रोता।
bahut sahi kaha aapane |
sach hai....aur sampurna
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा आप ने....
ReplyDeleteमेरा सच तुम्हारा भी सच हो....
दो शव्दॊ मे कितना सच छुपा कर कह दिया...
धन्यवाद
लेकिन यह पोस्ट आज केसे आ गई जब की यह तो २० या २१ को डाली थी, मुझे आज मिली.