हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
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Monday, December 15, 2008
चलना होगा तुझे अकेला
चलना होगा तुझे अकेला।
किस का रस्ता देखे मन तू,
अम्बर में छाए हैं घन क्यूँ?
मोर कहीं पर नाचा होगा,
जीवन तेरे संग भी खेला।
चलना होगा तुझे अकेला।
तिल-तिल मरते सपनें तेरे,
पानी पर बनते हैं घेरे।
इन घेरों को तोड़ दे मन तू,
अब तक तूनें कितना झेला।
चलना होगा तुझे अकेला।
दूर गगन में पंछी उड़ता,
दाना-तिनका खानें को।
लगा रहता है आना-जाना,
जीवन जाल है एक झमेला।
चलना होगा तुझे अकेला।
तिल तिल मरते सपने तेरे
ReplyDeleteपानी पर बनते हैं घेरे....
वाह बाली जी वाह...कमाल की रचना...जीवन की विषमताओं का शशक्त चित्रण....
नीरज
चलना होगा तुझे अकेला।
ReplyDeleteकिस का रस्ता देखे मन तू,
"सच कहा अकेले चलने का नाम ही जीवन है... भावपूर्ण प्रस्तुती ""किसका रास्ता देखे ऐ दिल ऐ सौदाई, मिलो हैं खामोशी मीलों है तन्हाई. "
regards
kitni sacchi baat kahi aapne ,
ReplyDeletezindagi ke jeene ke liye aapka ye andaaz bahut pasand aaya ..
bahut badhai ,
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
सच तो यही है.......चल अकेला
ReplyDeleteप्रशंसनिए
अकेले चलने में निरंतरता है! वाह!
ReplyDeleteसुन्दर रचना ...
ReplyDeleteयोदि तोमार डाक शोने केऊ ना आशे,
ReplyDeleteतोबे एकला चोलो रे ।
इन घेरों को तोड़ दे मन तू,
ReplyDeleteअब तक तूनें कितना झेला।
चलना होगा तुझे अकेला।
bahut khubsurat mann ko raah dikhati rachana,har lafz dil se,bahut badhai
बाली साहब देर से आने के लिए मुआफी चाहता हूँ बहोत बढ़िया कविता लिखा है बहोत सुदर भाव है भरे हुए आपको ढेरो बधाई साहब....
ReplyDeleteअर्श
तिल तिल मरते सपने तेरे
ReplyDeleteपानी पर बनते हैं घेरे....
बहुत सुंदर कविता लिखी आप ने .
धन्यवाद
वाहवा बढ़िया कविता हैं बंधु जी साधुवाद स्वीकारें
ReplyDeleteRespected Baliji,
ReplyDeleteMere blog par ane aur tareef karne keliye bahoot bahoot dhanyavad.Apkee rachna... chalna hoga tujhe akela... padh kar Gurudev Tagor ji ki yad ho ai...Sundar rachna ke liye badhai.Asha hai age bhee mera utsah badhaenge.
अच्छी कविता। पढ़कर बहुत अच्छा लगा।
ReplyDeletebehad hi umda rachna hai aapki.... jeevan ka satya ujagar karti...
ReplyDeleteतिल तिल मरते सपने तेरे
ReplyDeleteपानी पर बनते हैं घेरे....
bahut sahi kaha hai..bahut he sundar likha hai baali saahab.....
चलना होगा तुझे अकेला।
ReplyDeleteकिस का रस्ता देखे मन तू,
sahi likha hai ......
bahut aachi rachna ......badhai
वाह बाली जी वाह
ReplyDeleteसीधे शब्दों में तीखी रचना
बधाई