हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
अभी हाल ही मे ज्ञान दत्त जी की एक टिप्पणी जो कि " शकुनाखर" (ब्लोग पर दी गई)(http://shakunaakhar.blogspot.com/2009/04/blog-post_14.html) के कारण एक विवाद ने जन्म लिआ है। ज्ञानदत्त जी ने कहा…
मुझे नहीं लगता कि छद्मनाम से लिखने वाले या अपने बारे में कम से कम उजागर करने वाले बहुत सफल ब्लॉगर होते हैं। आपकी जिन्दगी में बहुत कुछ पब्लिक होता है, कुछ प्राइवेट होता है और अत्यल्प सीक्रेट होता है। पब्लिक को यथा सम्भव पब्लिक करना ब्लॉगर की जिम्मेदारी है। पर अधिकांश पहेली/कविता/गजल/साहित्य ठेलने में इतने आत्मरत हैं कि इस पक्ष पर सोचते लिखते नहीं। और उनकी ब्लॉगिंग बहुत अच्छी रेट नहीं की जा सकती।
ज्ञानदत्त जी की इस टिप्पणी पर मैने भी सहमती जताई है।उसी कारण को स्पष्ट करने के लिए यह पोस्ट लिख रहा हूँ।जहां तक मैनें देखा कि छद्मनाम से हम वह सब कह जाते हैं जो हम अपने वास्तविक परिचय देते हुए नही कह पाते।अभी हाल ही में मैने एक ब्लोग पढ़ा था वह राजनिति से संबधित था। मैं उस पर अपनी प्रतिक्रिया देना चाहता था। अत: मै बेनामी नाम से टिप्पणी करना चाहता था,लेकिन वहां पर बेनामी नाम की सुविधा ब्लोगर द्वारा नही दी गई थी।सो मैं बिना टिप्पणी किए , वहां से हट गया। लेकिन अपने वास्तविक नाम से अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करने में मुझे संकोच का अनुभव हुआ।
अब सवाल यह उठता है कि मैं वहां असली नाम से टिप्पणी क्यों नही कर पाया ?
कारण साफ है,ऐसा करने पर मैं अपने लिखे के लिए जिम्मेदार हो जाँऊगा,जवाब देह हो जाऊँगा।अत: ऐसी टिप्पणी या विचार व्यक्त करने से निश्चय ही डरूँगा।लेकिन बेनामी टिप्पणी करने पर मै इस जवाब देही से साफ बच सकता हूँ।इसी लिए मैने ज्ञान दत्त जी की बात पर सहमती भी जताई।
अभी एक और पोस्ट पढने को मिली जिसमें उन्होनें कुछ ऐसे नाम दिए है जो वास्तव में इन रचनाकारों के परिवर्तित नाम हैं।लेकिन हम उन्हें छद्मनाम नही कह सकते।कारण है कि ये नाम परिवर्तन का मामला है।उन रचनाकारो ने अपने परिचय को इस से अलग नही किया।असल मे छद्मनाम वह है जिस मे अपनी पहचान को पूर्णत: छुपाया जाता है।यदि आप इस छद्मनाम के साथ अपना सही परिचय व तस्वीर भी दे रहे है तो वह छद्मनाम नाम ना हो कर आपका उपनाम बन जाता है।
अब आते है असली मुद्दे पर कि असली नाम से लिखे या छ्द्मनाम से ?
जहां तक मेरी सोच है कि यह ब्लोगर पर निर्भर करता है कि वह कैसे लिखे। इस के लिए किसी को बाध्य नही किया जा सकता।यदि आप जवाब देही से बचना चाहते हो तो छद्मनाम से ही लिखना चहिए।लेकिन यदि आप जवाब देही से बचना नही चाहते तो अपने असली नाम से लिखें।
अब एक दूसरा सवाल कि हमे अपने बारे में कितनी जानकारी देनी चाहिए?
यहां पर मै स्पष्ट करना चाहूँगा कि मैं अपने वास्तविक नाम से व उप नाम दोनों से लिखता हूँ।लेकिन परिचय मैनें भी पूर्ण नही दिया है।यानी कि घर का अता पता या टेलिफोन नम्बर आदि।शायद इसी लिए मै सोचता हूँ की संक्षित परिचय दे देने मे कोई हर्ज नही है।लेकिन ऐसी जानकारीयां हमे कभी भी नही देनी चाहिए जो हमें किसी परेशानी मे डालने मे सहायक हो सकती हैं।दूसरा यदि कोई ब्लोगर अपनी वास्तविकता छुपाना जरूरी समझता है तो उसे ऐसा करने का पूरा हक है।अंत मे आप से निवेदन है कि यह मेरे निजि विचार हैं यह जरूरी नही कि आप भी इस से सहमत हों।लेकिन चाहूँगा की आप भी अपने विचार बताएं।
मरे हुए लोगो के बीच, न्याय की माँग करना, मूर्खता कहलाता है। इसी लिए हर नेता हमे देख कर मुस्कराता है। अपना हाथ हिलाता है।
किसे परवाह है पच्चीस साल तक जिन आँसुओं को वे अपने फटे आँचल मे समेटते रहे उसे बहने से रोकनें के लिए कोई आवाज उठाएगा!!! न्याय के द्वारा कोई उन आँसुओं की कीमत चुकाएगा। या फिर हमेशा की तरह न्याय अन्याय के नीचे दबकर मर जाएगा। हजारो लोगों की मौत जिन्दा जलती चिताओं का धुँआ किसी ने तो उठाया होगा। क्या तुमने बिना आग के धुँआ उठता देखा है? क्या तुमने बिना मारे किसी का कत्ल होते देखा है? लेकिन हमारे देश में ऐसा ही देखा जाता है। इसी लिए न्याय की तलाश में आदमी अन्याय के भार के नीचे दबकर हर बार मर जाता है। यह कहानी किसी एक कौम के साथ नही कई कौमों के साथ दोहराई गई। न्याय की कई बार हँसी उड़ाई गई। शायद इसी लिए मेरा भारत महान कहलाता है।
इसी लिए हर नेता हमे देख कर मुस्कराता है। अपना हाथ हिलाता है।
मुझे नहीं लगता कि छद्मनाम से लिखने वाले या अपने बारे में कम से कम उजागर करने वाले बहुत सफल ब्लॉगर होते हैं।
आपकी जिन्दगी में बहुत कुछ पब्लिक होता है, कुछ प्राइवेट होता है और अत्यल्प सीक्रेट होता है।
पब्लिक को यथा सम्भव पब्लिक करना ब्लॉगर की जिम्मेदारी है। पर अधिकांश पहेली/कविता/गजल/साहित्य ठेलने में इतने आत्मरत हैं कि इस पक्ष पर सोचते लिखते नहीं।
और उनकी ब्लॉगिंग बहुत अच्छी रेट नहीं की जा सकती।