ना पूछो, वक्त ने क्या क्या सितम ढहाए हैं।
अपनो ने जो रास्ते हमको अब तक दिखाए हैं
समझ आता नही जाए कहां कोई बता दो यार,
यहां हर मोड़ पर हमने देखे बस चौराहे हैं।
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हरिक चौराहे पर अब भीड़ दिखती है।
वह ऐसा मुझे हर खत मे लिखती है।
मेरा बाहर जाना इतना गजब ढहाएगा-
यहां हरिक चीज लगता है, बिकती है।
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आपको तथा आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ.nice
ReplyDeleteबाली जी
ReplyDeleteनिःसन्देह आजकल सबकुछ बाजार में बिकने के लिये है. ग्राहक खरीदने के लिये तैयार हैं. हमें प्रयास करने है कि हम नहीं बिक जायं. बहुत उत्तम रचना है.
www.rashtrapremi.com
आदरणीय बाली जी,बहुत सुन्दर एवम वजनदार हैं आपके ये मुक्तक्। होली के पावन पर्व पर हार्दिक बधाई एवम शुभकामनायें स्वीकार करें।
ReplyDelete.....होली की लख-लख बधाईंया व शुभकामनायें!!!!!
ReplyDeleteबहुत उम्दा!!
ReplyDeleteये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
यहाँ हर मोड पर देखे चौराहे हैं--- सही बात है ज़िन्दगी एक ही राह पर कब चलती है। दिल को छू गये मुक्तक। आपको होली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteरंग बिरंगे त्यौहार होली की रंगारंग शुभकामनाए
ReplyDeleteबस होली की खुशियाँ मुफ्त मिलती हैं।
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें।
बहुत अच्छा । बहुत सुंदर प्रयास है। जारी रखिये ।
ReplyDeleteहिंदी को आप जैसे ब्लागरों की ही जरूरत है ।
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bahut sundar...........happy holi.
ReplyDeleteवाह जी बाह बल्ले बल्ले
ReplyDelete"बहुत बढ़िया, हैप्पी होली...."
ReplyDeleteamitraghat.blogspot.com
बहुत लाजवाब,बहुत कुछ कह डाला इतने में ही
ReplyDeleteबधाई
आपको व आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें
आपको होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
ReplyDeleteSahi kaha..har modpe bas chaurahe hain!
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