हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
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Monday, March 8, 2010
ना हिन्दू बुरा है ना मुसलमान बुरा है......
ना हिन्दू बुरा है ना मुसलमान बुरा है
जिसने ये देश बाँटा वो इंसान बुरा है।
गाँधी गोली खा मरे बहुत बुरा हुआ
सुभाष लापता हुए बहुत बुरा हुआ
फायदा किसे हुआ जानता है रब..
देश ना समझा ये बहुत बुरा हुआ।
चुप रहके सब देखना, मान बुरा है।
ना हिन्दू बुरा है ना मुसलमान बुरा है।
सोचता हूँ सुभाष गर देश मे होते,
देशवासी आतंक से आज ना रोते।
बाँट ना पाता कोई टुकड़ो मे यूँ देश,
सरदार गर हमारे आज बीच मे होते।
निजि फर्ज से मुँह फैरना जान बुरा है।
ना हिन्दू बुरा है ना मुसलमान बुरा है।
सुनता गर गाँधी की कोई, देश ना बँटता।
चीन कभी सीमा पर घुसपैठ ना करता।
अमरीका दादा बन सबको सीख ना देता।
नेताओ की नैतिकता कोई छीन ना लेता।
दब के किसी से, छोड़ना स्वाभिमान बुरा है।
ना हिन्दू बुरा है ना मुसलमान बुरा है ।
भ्रष्टाचार के कारण मेरा देश ना रोता।
मँहगाई की आग देख, नेता ना सोता।
कुर्सी बचाने के लिए दुश्मन को कहे दोस्त,
देश मे अपने चलन ये, आज ना होता।
ऐसे नेताओ को मिले जब, मान बुरा है।
ना हिन्दू बुरा है ना मुसलमान बुरा है
(क्रमश:)
nice
ReplyDelete...कुर्सी के लिये दुश्मन दोस्त.... बहुत खूब,बधाई!!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
ReplyDeleteamitraghat.blogspot.com
रचना बहुत सुंदर लगी....
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी रचना। एक एक शब्द दिल को छू गया। धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना।
ReplyDeletesach kaha, bahut badhiyaa
ReplyDeleteबाप रे बाप क्या सटीक चोट की है और किस अंदाज़ में मज़ा आ गया दिल से बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteकाश ! ऐसा होता ।
ReplyDeleteदेश की समस्याओं को सही उजागर किया है।
सही कहा है आपकी ईस रचनानें।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना!
ReplyDeleteबहुत सुंदर लगी रचना
ReplyDeletenamskar ji
ReplyDeleteek se badhkar ek....
सटीक।
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