जब सपनों की नगरी कोई..बसा ले।
टूटे हुए सपनों को यहाँ कौन संभाले।
जीनें को तो जी रहे हैं लोग यहाँ पर
क्या जीना इसे कहते हैं कोई बता दे।
मर गया भरोसा अब इस जहांन में
प्यार के रिश्ते यहाँ धन ने संभाले।
मन बोलता है कुछ दिल चाहता है कुछ
किस की सुने कोई जरा ये तो बता दे।
बस! जीने के लिये तुझे जिदंगी मिली
जीनें का मजा ले और हँस के बिता दे।
बहुत अच्छी ग़जल हो गयी, सलाम....
ReplyDeleteबस! जीने के लिये तुझे जिदंगी मिली
ReplyDeleteजीनें का मजा ले और हँस के बिता दे।
महान कार्य करने के लिए उमंग तथा उत्साह को अपना साथी बनाइए।
सच कहा, जिन्दगी ऐसे ही बीत जाये।
ReplyDeleteजीने का मजा ले, और जिंदगी मज़े से बिता ले. सुंदर सलाह देती नज़्म. बहुत सुंदर.
ReplyDeleteबस! जीने के लिये तुझे जिदंगी मिली
ReplyDeleteजीनें का मजा ले और हँस के बिता दे।
ये है काम की बात । अति सुन्दर ।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (16-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
बस! जीने के लिये तुझे जिदंगी मिली
ReplyDeleteजीनें का मजा ले और हँस के बिता दे।
सटीक बात कही है ...सुन्दर अभिव्यक्ति
अच्छी है .... आनंद आया पढ़ कर...
ReplyDeleteवाह!! बहुत बेहतरीन गज़ल!!!
ReplyDeleteहँसकर ही बीते ज़िंदगी । बहुत अच्छी गज़ल ।
ReplyDeleteजब सपनों की नगरी कोई..बसा ले।
ReplyDeleteटूटे हुए सपनों को यहाँ कौन संभाले।
जीनें को तो जी रहे हैं लोग यहाँ पर
क्या जीना इसे कहते हैं कोई बता दे।
bahut hi achchi gajal.badhai aapko
please vvisit my blog and leave the comments also.
वाह ... बहुत खूब कहा है ... ।
ReplyDeleteजीने का सब किसी का अपना अपना अंदाज़ है ... बहुत अच्छी रचना है ..
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