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Sunday, May 15, 2011

अपने से सवाल...

 


जब सपनों की नगरी कोई..बसा ले।
टूटे हुए सपनों को यहाँ कौन संभाले।


जीनें को तो जी रहे हैं लोग यहाँ पर
क्या जीना इसे कहते हैं कोई बता दे।


मर गया भरोसा अब इस जहांन में
प्यार के रिश्ते यहाँ धन ने संभाले।
मन बोलता है कुछ दिल चाहता है कुछ
किस की सुने कोई जरा ये तो बता दे।


बस! जीने के लिये तुझे  जिदंगी मिली
जीनें का मजा ले और हँस के बिता दे।

14 comments:

  1. बहुत अच्छी ग़जल हो गयी, सलाम....

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  2. बस! जीने के लिये तुझे जिदंगी मिली
    जीनें का मजा ले और हँस के बिता दे।
    महान कार्य करने के लिए उमंग तथा उत्‍साह को अपना साथी बनाइए।

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  3. सच कहा, जिन्दगी ऐसे ही बीत जाये।

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  4. जीने का मजा ले, और जिंदगी मज़े से बिता ले. सुंदर सलाह देती नज़्म. बहुत सुंदर.

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  5. बस! जीने के लिये तुझे जिदंगी मिली
    जीनें का मजा ले और हँस के बिता दे।

    ये है काम की बात । अति सुन्दर ।

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  6. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (16-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  7. बस! जीने के लिये तुझे जिदंगी मिली
    जीनें का मजा ले और हँस के बिता दे।

    सटीक बात कही है ...सुन्दर अभिव्यक्ति

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  8. वाह!! बहुत बेहतरीन गज़ल!!!

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  9. हँसकर ही बीते ज़िंदगी । बहुत अच्छी गज़ल ।

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  10. जब सपनों की नगरी कोई..बसा ले।
    टूटे हुए सपनों को यहाँ कौन संभाले।


    जीनें को तो जी रहे हैं लोग यहाँ पर
    क्या जीना इसे कहते हैं कोई बता दे।
    bahut hi achchi gajal.badhai aapko



    please vvisit my blog and leave the comments also.

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  11. वाह ... बहुत खूब कहा है ... ।

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  12. जीने का सब किसी का अपना अपना अंदाज़ है ... बहुत अच्छी रचना है ..

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  13. This comment has been removed by a blog administrator.

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