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Monday, January 30, 2012

बेशर्मी की हदे.......

वह इस लिये
तड़प रहा था 
प्यास के कारण
क्योकि उसके भीतर
वादाखिलाफी देख कर
आग लगी हुई थी
और आज वह 
पाँच साल बाद 
फिर लौट आया है
उससे अपना समर्थन माँगने।
बेशर्मी की हदे .......
पार करना
इसी को तो कहते हैं।

Sunday, January 22, 2012

ना जानें क्यों....


ना जाने क्यों ....उदास हो गई रातें मेरी।
दिलमें वही तस्वीर लिये घूमता हूँ तेरी। 

लोग कहते हैं -  जी भर गया होगा मेरा
दिखती नही अश्कों से भरी आँखे मेरी?


मै दरबदर तलाशता हूँ जमानें मे तुझे।
ना जाने क्य़ूँ   भूलकर  बैठा हैं तू मुझे।

लोग कहते हैं -  हर  शै में समाया तू है
फिर क्यूँ खा जाती है नजरें धोखा मेरी।


ना जाने क्यों ....उदास हो गई रातें मेरी।
दिलमें वही तस्वीर लिये घूमता हूँ तेरी।

Wednesday, January 18, 2012

पत्थर और आदमी



पत्थर और आदमी में
अब फर्क नज़र आता नही।
इस लिये दिल से यहाँ ,
कोई गीत अब गाता नही।
खामोश है यहाँ हर नजर, 
आकाश में उठती हुई -
उडता हुआ कोई परिंदा ,
नजर अब आता नही।
सोचता हूँ गीत यहाँ 
किसके लिये अब गाँऊ मैं,
गीत अपना अपने को,   
अब जरा भाता नही।
पत्थर और आदमी में
अब फर्क नज़र आता नही।