हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
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Monday, January 30, 2012
Sunday, January 22, 2012
ना जानें क्यों....
ना जाने क्यों ....उदास हो गई रातें मेरी।
दिलमें वही तस्वीर लिये घूमता हूँ तेरी।
लोग कहते हैं - जी भर गया होगा मेरा
दिखती नही अश्कों से भरी आँखे मेरी?
मै दरबदर तलाशता हूँ जमानें मे तुझे।
ना जाने क्य़ूँ भूलकर बैठा हैं तू मुझे।
लोग कहते हैं - हर शै में समाया तू है
फिर क्यूँ खा जाती है नजरें धोखा मेरी।
ना जाने क्यों ....उदास हो गई रातें मेरी।
दिलमें वही तस्वीर लिये घूमता हूँ तेरी।