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Sunday, January 22, 2012

ना जानें क्यों....


ना जाने क्यों ....उदास हो गई रातें मेरी।
दिलमें वही तस्वीर लिये घूमता हूँ तेरी। 

लोग कहते हैं -  जी भर गया होगा मेरा
दिखती नही अश्कों से भरी आँखे मेरी?


मै दरबदर तलाशता हूँ जमानें मे तुझे।
ना जाने क्य़ूँ   भूलकर  बैठा हैं तू मुझे।

लोग कहते हैं -  हर  शै में समाया तू है
फिर क्यूँ खा जाती है नजरें धोखा मेरी।


ना जाने क्यों ....उदास हो गई रातें मेरी।
दिलमें वही तस्वीर लिये घूमता हूँ तेरी।

8 comments:

  1. सुन्दर सृजन , सुन्दर भावाभिव्यक्ति.
    please visit my blog.

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  2. उनका भूलना और मेरा तलाशना ... ये तो दुनिया का दस्तूर है हमेशा से ...
    लाजवाब रचना है ...

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  3. भूलना बड़ा ही कठिन होता है...बड़ी सुन्दर रचना...

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  4. उन्हें हमें भूलने की आदत है।हमारी सगल है उन्हें शिद्दत से याद करने की।

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  5. बहुत भावमयी सुन्दर प्रस्तुति...

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  6. वाह ..बहुत ही बढि़या

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  7. भावमयी बहुत अच्छी प्रस्तुति

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें



    vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........

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