ना जाने क्यों ....उदास हो गई रातें मेरी।
दिलमें वही तस्वीर लिये घूमता हूँ तेरी।
लोग कहते हैं - जी भर गया होगा मेरा
दिखती नही अश्कों से भरी आँखे मेरी?
मै दरबदर तलाशता हूँ जमानें मे तुझे।
ना जाने क्य़ूँ भूलकर बैठा हैं तू मुझे।
लोग कहते हैं - हर शै में समाया तू है
फिर क्यूँ खा जाती है नजरें धोखा मेरी।
ना जाने क्यों ....उदास हो गई रातें मेरी।
दिलमें वही तस्वीर लिये घूमता हूँ तेरी।
सुन्दर सृजन , सुन्दर भावाभिव्यक्ति.
ReplyDeleteplease visit my blog.
उनका भूलना और मेरा तलाशना ... ये तो दुनिया का दस्तूर है हमेशा से ...
ReplyDeleteलाजवाब रचना है ...
भूलना बड़ा ही कठिन होता है...बड़ी सुन्दर रचना...
ReplyDeleteउन्हें हमें भूलने की आदत है।हमारी सगल है उन्हें शिद्दत से याद करने की।
ReplyDeleteबहुत भावमयी सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteवाह ..बहुत ही बढि़या
ReplyDeletebahut achhi rachna
ReplyDeleteभावमयी बहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........