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Monday, February 27, 2012

सब अपने लिये.....


 १
आँख देखती है
दिल को कोई अहसास नही होता।
इसी लिए अब
कोई प्यार का घर आबाद नही होता।



चाहतें तो बहुत हैं
सब पूरी कर लेंगें एक दिन ।
ये अलग बात है-
उन चाहतों में कोई दूसरा ना होगा।


आने को कहा था 

पर नही आये
अब इस बात पर खुशी होती है।
किस किस से बाँटते अपनी खुशी
अपनी तो 

खुशी में भी आँख रोती  है।


यहाँ कोई 
किसी के लिये नही जीता।
यहाँ कोई 
किसी गम में नही पीता।
कुछ को शौक है
कुछ को आदत है यहाँ।
वर्ना दिल तो सभी का
सदा रहता है रीता।


Wednesday, February 15, 2012

मुक्तक

यहाँ कोई किसी के लिये नही जीता।
गम भुलाने के लिए कोई नही पीता।
पीने वाला कोई बहाना ढूंढ लेता है-
क्यॊ कि हर रंग उसे लगे है फीका।