हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
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Wednesday, February 15, 2012
मुक्तक
यहाँ कोई किसी के लिये नही जीता। गम भुलाने के लिए कोई नही पीता। पीने वाला कोई बहाना ढूंढ लेता है- क्यॊ कि हर रंग उसे लगे है फीका।
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सच है...
ReplyDeleteॐ नमः शिवाय !! महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये.
ReplyDeleteसच कहा है ... पीने वालों को [पीने का बहाना चाहिए ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर पंक्तियाँ।
ReplyDeleteLambi bimari ke baad aap sabko padhne ka avsar mila... bahut achchhi rachna hai ye ... bahut2 badhai..
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