वीर तुम बढे चलो फकीर तुम बढे चलो।
वोट तुम अपना सदा, भ्रष्टाचारीयो को दो।
बढ रही महँगाई हो ,धर्म की लड़ाई हो
राह चलते चलते तेरी रोज ही पिटाई हो
तुम कभी डरो नही, पीछे भी हटो नही,
तुड़वा के हाथ पाँव तुम, बढे चलो बढे चलो।
डाक्टरों की फीस भले जे़ब मे तेरी ना हो।
वीर तुम बढे चलो फकीर तुम बढे चलो।
वोट तुम अपना सदा, भ्रष्टाचारीयो को दो।
विश्व का गुरू बनेगा भारत, सभी ये कह रहे
मिया मिट्ठू बनें , ये देशवासी बह रहे
नेताओं की नजर मॆ तुम विकास करने वाले हो,
खुश रहो तुम सदा फिसड्डी फिर भी रह गये ।
मुस्कराओ इस बात पे और तुम आगे बढो।
वीर तुम बढे चलो फकीर तुम बढे चलो।
वोट तुम अपना सदा, भ्रष्टाचारीयो को दो।
तुम सदा फिसड्डी थे देख लो चहुँ ओर तुम
देश का सारा धन, हो रहा है कैसे गुम
तुम उन्हीं को वोट दे फिर कुर्सीयां दिलाओगे,
अपने को पहचानो तुम कुत्ते की हो टेड़ी दुम ।
जान कर अंजान बन , बेवकूफ बनें रहो।
वीर तुम बढे चलो फकीर तुम बढे चलो।
वोट तुम अपना सदा, भ्रष्टाचारीयो को दो।
देश जाये भाड़ में तू अपनी जेबों को ले भर
चोरी कर टेक्स की ऐसा कुछ जुगाड़ कर
नेता सभी ये कर रहे तू काहे को है सोचता,
है अगर गरीब जा गटर में तू गिर के मर।
सरकार फिर कहेगी अब, ये मुआवजा तो लो।
वीर तुम बढे चलो फकीर तुम बढे चलो।
वोट तुम अपना सदा, भ्रष्टाचारीयों को दो।
सार्थक और सामयिक पोस्ट, आभार.
ReplyDeleteसटीक व्यंग्य....!
ReplyDeleteसार्थक और सटीक व्यंग...
ReplyDeleteसही कहा आपने,, बिल्कुल स्टीक व्यंग्य
ReplyDeleteसटीक सुंदर चित्रण...!!!
ReplyDeleteएकदम सही चित्रण और शनदार व्यंग्य
ReplyDeleteसार्थकता लिए हुए सटीक लेखन ...बहुत ही बढि़या प्रस्तुति।
ReplyDeleteदो-तीन दिनों तक नेट से बाहर रहा! एक मित्र के घर जाकर मेल चेक किये और एक-दो पुरानी रचनाओं को पोस्ट कर दिया। लेकिन मंगलवार को फिर देहरादून जाना है। इसलिए अभी सभी के यहाँ जाकर कमेंट करना सम्भव नहीं होगा। आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
ReplyDeleteachchha vyangya hai.
ReplyDeletehasya bhi jordar hai.
बेहतरीन कटाक्ष
ReplyDeleteवीर रस और हास्य रस का बेहतरीन कॉम्बिनेशन.
ReplyDeletebadhti hou mehngai hai
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