ना जानें वह कैसे..
क्या क्या लिख जाती है
मै उलझ जाता हूँ अक्सर
उसके जानें के बाद।
उसके कहे को
समझने की कोशिश करता हूँ
और हर बार पाता हूँ..
वह जो कहना चाहती है...
उस के अर्थ
मेरे पास पहुँचते पहुँचते
बदल जाते हैं।
लगता है मेरे भावों को
उसके
शब्द सजाते हैं।
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उस दिन जब तुमने मुझे
अपना आखरी खत लिखा था
मैनें उसे गुस्से मे फाड़ कर
टुकड़े- टुकड़े कर दिया था
लेकिन जब रात आई तो
अकेलेपन ने मुझे उकसाया-
मैं उस खत के टुकड़े
फिर उठा लाया।
अब हर रात मैं उन्हें जोड़ता हूँ
अपनी कल्पनाओं के घोड़े पर बैठ
ना जाने कहाँ-कहाँ दोड़ता हूँ।
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बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteमन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ
बहुत मासूम प्रस्तुति..
ReplyDeleteसुन्दर आलेख
ReplyDeleteयूनिक ब्लॉग--------- आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऐं
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteदीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें |
RECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,
म्यूजिकल ग्रीटिंग देखने के लिए कलिक करें,
बहुत बढिया । आपको दीपावली की शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना...
ReplyDeleteअनु