ये जो दिल उदास रहता है,
तुझे याद करता रह्ता है।
वैसे तो जी रहे हैं दुनिया में
निभाते हुए हर रस्मों को
संभाले चलते हैं जमानें के साथ
तेरे वादों को तेरी कसमों को
ना जाने फिर भी ये आँसू क्यों बहता है।
ज़माना समझे है जीवन मे मेरे गम ही हैं
अभी जिन्दा हूँ क्यों कि कम ही हैं
मेरी चाहत है.. तुझ -सा हो जाँऊ
ये ख्वाइश मेरी बहुत कम ही है
अपनी ही ख्वाइश पे शक क्यों रहता है।
हमने चाहा था कब आना तेरी दुनिया में
झूठे लोगों का तमाशा यहाँ चलता है
कहने को दोस्त भाई सखा सब हैं
हर दिल में मगर फ़रेब पलता है।
कोई बताए उजाला शब के घर क्यों रहता है।
वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति
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