हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
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Saturday, January 4, 2014
हम खामोश रहते...
हम खामोश रहते थे फिर भी बदनाम हुए। ऐसे किस्से अपनें,जमानें में अब आम हुए।
उनकी बातॊ से शिकायत थी,फरेब करते है, अपनी आजमाईश में सदा हम नाकाम हुए। कौन कहता है, खामोशी भी जवाब होता है, इसी वजह से मेरे कत्ल सभी अरमान हुए । अब अपनी खमोशी से डर बहुत लगता है, मेरी जिन्दगी के सब सफर बेलगाम हुए।
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वाह...
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल...
अनु
बहुत सुन्दर
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