हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
हम खामोश रहते थे फिर भी बदनाम हुए। ऐसे किस्से अपनें,जमानें में अब आम हुए।
उनकी बातॊ से शिकायत थी,फरेब करते है, अपनी आजमाईश में सदा हम नाकाम हुए। कौन कहता है, खामोशी भी जवाब होता है, इसी वजह से मेरे कत्ल सभी अरमान हुए । अब अपनी खमोशी से डर बहुत लगता है, मेरी जिन्दगी के सब सफर बेलगाम हुए।
आप द्वारा की गई टिप्पणीयां आप के ब्लोग पर पहुँचनें में मदद करती हैं और आप के द्वारा की गई टिप्पणी मेरा मार्गदर्शन करती है।अत: अपनी प्रतिक्रिया अवश्य टिप्पणी के रूप में दें।
वाह...
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल...
अनु
बहुत सुन्दर
ReplyDelete