हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
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Friday, November 2, 2007
1984 के कुछ मनहूस यादें जो इंन्सानियत को शर्मसार करती रहेगी!
1984 के कुछ मनहूस यादें जो इंन्सानियत को शर्मसार करती रहेगीं!...यहाँ किलकाएं-इंकलाब
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ReplyDeleteह्रदय में दर्द पैदा करने वाली प्रस्तुति
ReplyDeleteदीपक भारतदीप
ह्रदय में दर्द पैदा करने वाली प्रस्तुति
ReplyDeleteदीपक भारतदीप
Nice blog
ReplyDeleteplease visit
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thank you