हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
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आपकी मुक्तक माला-८ नही चालू हो रहा है कृपया ध्यान दें.
ReplyDeleteह्रदय में दर्द पैदा करने वाली प्रस्तुति
ReplyDeleteदीपक भारतदीप
ह्रदय में दर्द पैदा करने वाली प्रस्तुति
ReplyDeleteदीपक भारतदीप
Nice blog
ReplyDeleteplease visit
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thank you