हम से होकर अनंत दिशाएं चारों ओर जाती हैं....लेकिन सभी दिशाएं वापिस लौटनें पर हम में ही सिमट जाती हैं...हम सभी को अपनी-अपनी दिशा की तलाश है..आओ मिलकर अपनी दिशा खोजें।
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Friday, February 6, 2009
अपनी अपनी उड़ान
जिस दिन से
हम सभी आऐ हैं
उसी दिन से
धीरे धीरे मर रहे हैं
हर पल।
एक दिन
पूरे मर जाऐगें।
फिर भी सपने सजाऐगें।
*****************
चिड़िया के नवजात बच्चें
अभी उड़ नही सकते।
इसी लिए
बहुत अपनें लगते हैं।
बच्चों को भी
चिड़िया के पंखों की छाँव में
बहुत सपने जगते हैं।
चिड़िया भी जानती है
एक दिन जब बच्चे
उड़ना सीख जाऐगें।
वह फिर नये सिरे से
सपने सजाऐगें।
उस में चिड़िया कहीं नही होगी।
********************
(चित्र गुगुल से साभार )
बाली जी, आपने बहुत ही सच्ची बात कही है इस कविता में, आभार!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteएक कड़वी सच्चाई .... बेहतरीन भवभिब्यक्ति... ढेरो बधाई आपको...
ReplyDeleteअर्श
सच कहा आपने।
ReplyDeleteसुंदर है भवभिब्यक्ति... ढेरो बधाई आपको...!
ReplyDeleteसुंदर कौव्वा और सुंदर अभिव्यक्ति.आभार.
ReplyDeletehmmm.........yahi jivan ka shaashwat kram hai,
ReplyDeletepar yakeen rakhiye chidiya khud sapne saja legi,
apne pankhon ki bhasha samajh legi
अच्छी अभिव्यक्ति दी अपने विचारों की...;
ReplyDeleteक्या बात है, यही बात हम सब नही समझ पाते, हम पल पल मोत की ओर जा रहे है, फ़िर लालच केसा, बाली साहब बहुत सुंदर भाव लिये है अप की यह कविता.
ReplyDeleteधन्यवाद
sahi kaha bahut hisundar
ReplyDeleteआदमी का स्वप्न है वो बुलबुला जल का
ReplyDeleteआज उठता और कल फिर फूट जाता है
किंतु फिर भी धन्य ठहरा आदमी ही तो
बुलबुलों से खेलता कविता बनाता है
बहुत सुंदर रचना....बधाई स्वीकारें.
बहुत महीन-से भाव की बहुत ही सजी हुयी अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक धन्यवाद !
बहुत ही सच्चा संदेश बाली जी आपकी इस कविता में निहित है।
ReplyDeleteyatharth bodh karati huyi rachna.
ReplyDeletebahut sundar aur gahri abhivyakti.
sachchayi se ot-prot.
Respected Bali Ji,
ReplyDeletebahut sundar abhivyakti. badhai.
वाह.. बाली जी, वाह... बेहतरीन काव्याभिव्यक्ति..
ReplyDeleteमृत्यु ही तो सबसे बड़ा सच है, जीवन तो बस मृत्यु को पाने का मार्ग है!
ReplyDeleteआदरणीय बाली जी ,
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता ...अच्छे शब्द संयोजन के साथ.
बधाई.
हेमंत कुमार
सुंदर अभिव्यक्ति.साधुवाद.
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteप्रहार: अपने गमो की दास्ताँ हम किसको सुनाये दिल ए जाना.
Bali ji ek anurodh hai ...ab aap bhi blog me tasveer lga hi len...ye bacche ki tasveer se lagta
ReplyDeletehai ham kisi bacche ko comts de rahe hain....!
kavita choti pr bhav gambhir...!!
सरल शब्दों में गंभीर भावों को समेटे हुए.......बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति
ReplyDeleteयथार्त चिंतन, एक दिन सब के साथ होना है ...........
ReplyDeleteहमारे बच्चे भी नए सपने सजाते हैं, पर उसमें हम नही होते
बहुत खूब, बहुत उम्दा
अति गम्भीर..
ReplyDeleteबालीजी आज तो छा गये हैं बधाई
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