Friday, February 6, 2009

अपनी अपनी उड़ान


जिस दिन से
हम सभी आऐ हैं
उसी दिन से
धीरे धीरे मर रहे हैं
हर पल।
एक दिन
पूरे मर जाऐगें।
फिर भी सपने सजाऐगें।

*****************
चिड़िया के नवजात बच्चें
अभी उड़ नही सकते।
इसी लिए
बहुत अपनें लगते हैं।
बच्चों को भी
चिड़िया के पंखों की छाँव में
बहुत सपने जगते हैं।
चिड़िया भी जानती है
एक दिन जब बच्चे
उड़ना सीख जाऐगें।
वह फिर नये सिरे
से
सपने सजाऐगें।
उस में चिड़िया
कहीं नही होगी।
********************
(चित्र गुगुल से साभार )

25 comments:

  1. बाली जी, आपने बहुत ही सच्ची बात कही है इस कविता में, आभार!

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  2. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  3. एक कड़वी सच्चाई .... बेहतरीन भवभिब्यक्ति... ढेरो बधाई आपको...


    अर्श

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  4. सुंदर है भवभिब्यक्ति... ढेरो बधाई आपको...!

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  5. सुंदर कौव्वा और सुंदर अभिव्यक्ति.आभार.

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  6. hmmm.........yahi jivan ka shaashwat kram hai,
    par yakeen rakhiye chidiya khud sapne saja legi,
    apne pankhon ki bhasha samajh legi

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  7. अच्‍छी अभिव्‍यक्ति दी अपने विचारों की...;

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  8. क्या बात है, यही बात हम सब नही समझ पाते, हम पल पल मोत की ओर जा रहे है, फ़िर लालच केसा, बाली साहब बहुत सुंदर भाव लिये है अप की यह कविता.
    धन्यवाद

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  9. आदमी का स्वप्न है वो बुलबुला जल का
    आज उठता और कल फिर फूट जाता है
    किंतु फिर भी धन्य ठहरा आदमी ही तो
    बुलबुलों से खेलता कविता बनाता है
    बहुत सुंदर रचना....बधाई स्वीकारें.

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  10. बहुत महीन-से भाव की बहुत ही सजी हुयी अभिव्यक्ति !
    मेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक धन्यवाद !

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  11. बहुत ही सच्चा संदेश बाली जी आपकी इस कविता में निहित है।

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  12. yatharth bodh karati huyi rachna.
    bahut sundar aur gahri abhivyakti.
    sachchayi se ot-prot.

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  13. वाह.. बाली जी, वाह... बेहतरीन काव्याभिव्यक्ति..

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  14. मृत्यु ही तो सबसे बड़ा सच है, जीवन तो बस मृत्यु को पाने का मार्ग है!

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  15. आदरणीय बाली जी ,
    बहुत अच्छी कविता ...अच्छे शब्द संयोजन के साथ.
    बधाई.
    हेमंत कुमार

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  16. सुंदर अभिव्यक्ति.साधुवाद.

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  17. Bali ji ek anurodh hai ...ab aap bhi blog me tasveer lga hi len...ye bacche ki tasveer se lagta
    hai ham kisi bacche ko comts de rahe hain....!

    kavita choti pr bhav gambhir...!!

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  18. सरल शब्दों में गंभीर भावों को समेटे हुए.......बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति

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  19. यथार्त चिंतन, एक दिन सब के साथ होना है ...........
    हमारे बच्चे भी नए सपने सजाते हैं, पर उसमें हम नही होते

    बहुत खूब, बहुत उम्दा

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  20. बालीजी आज तो छा गये हैं बधाई

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