ठंड बहुत है....
इसी लिए सरकार ने
गरीबों के लिए
ठंड से बचाने के लिए
यह जुगत लगाई है -
महँगाई की आग जलाई है।
*******************
जब कोई गलत आदमी
सही बात बोलता है....
आदमी को नहीं
उस की बात को
मान देना चाहिए।
यदि यह तुम्हें
स्वीकार नही...
अपने को -
पहचान लेना चाहिए।
****************
मैं हमेशा चाहता था....
मेरा मालिक-
मेरे हर प्रश्न का उत्तर दे।
लेकिन ...
वह सदा रहता मौन था।
आज जब -
मैं मालिक बन गया हूँ
नही जानता....
प्रश्न पूछने वाला कौन था ?
******************
काश!! इस मंहगाई की आग से कम से कम इतना ही हो जाता कि ठंड से राहत हो लेती...मगर हाय नसीब!१
ReplyDeleteबेहतरीन क्षणिकायें...
महंगाई की आग से ठण्ड तो जाएगी कैसे ......अच्छी क्षणिकाएं . सुभकामनाएँ !!
ReplyDeleteप्रश्न पूछने वाला कौन था?
ReplyDeleteछा गए गुरू!
महंगाई !!! बेहद सार्थक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteregards
बहुत ही आनंद दायक और कुछ सवाल उठाती हुई हैं ये क्षणिकायें..
ReplyDeleteसुंदर क्षणिकाएं !!
ReplyDeleteबहुत खूब , छोटी सी क्षणिका अपने आप में बहुत कुछ समेटे हुए है । अच्छा लगा
ReplyDeleteकमाल की क्षणिकाएँ है ......... लाजवाब ......... सच है आजकल मंहगाई की आग लगी हुई है ..........
ReplyDeletewaah ...........ek se badhkar ek aur gazab ki kshanikayein hain............teenon hi kabil-e-tarif.
ReplyDeleteबहुत कमाल की बात की है चंद लाइनों में बहुत कुछ कह दिया है कमाल की आग लगायी है
ReplyDeleteदोनों क्षणिकाओं ने पुरजोर असर डाला है
ReplyDeleteआपके विचार सराहनीय हैं।
ReplyDeleteद्वीपांतर परिवार की ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत खूब...
ReplyDeleteपरम जीत जी बेहद खूबसूरत अंदाज़ में आपने अपनी रचना में कमाल की बात की है...बधाई
ReplyDeleteनीरज
सही कहा, समय के साथ आदमी की सोच भी बदल जाती है।
ReplyDeleteसुन्दर क्षणिकाएं।
तीनों क्षणिकाएं बहुत सुन्दर हैं.
ReplyDeleteठण्ड बहुत है..
इसी लिए सरकार ने
ग़रीबों के लिए
यह जुगत लगाई है
महंगाई की आग जलाई है.
बहुत सुन्दर.
महावीर शर्मा
bahut sahi kaha hai
ReplyDeletegood !
बाली जी पहली और आखिरी क्षणिका ने तो कमाल कर दिया बहुत सटीक रचना है बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर लगी आप की क्षणिकयें.
ReplyDeleteधन्यवाद
sateek rachana
ReplyDeleteबहुत ही चुटीली क्षणिकायें हैं।
ReplyDelete...सभी रचनाएं बेहद प्रसंशनीय है!!!!!
ReplyDeleteसभी क्षणिकाएं कमाल की हैं पर आखरी वाली तो बहुत ही बढिया ।
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