Monday, September 10, 2007

भीतर का सैलाब

आँधियों के चलने की खबर
अक्सर झूठ होती है
समय कब ठहरा है
अपने मन से पूछो
वह हमेशा झूठा साबित होता है
लेकिन फिर भी तुम्हें
उस की सच्चाई पर कभी
संदेह नही होता है
तुम हमेशा व्यापारियों की तरह
उस से व्यापार ही करने की सोचते हो
तभी तो हर बार उसे
फायदे की जगह नुकसान का
सौदा कर के अक्सर घर लौटते हो
लेकिन तुम्हारा यह अपने आप को
समझाने का ढंग
कि तुम हमेशा सही होते हो
तुम्हारे मन को तो सांत्वना देता है
लेकिन बाहर की जग हँसाई
तुम्हें भी तो विचलित कर जाती होगी
भले ही तुम इसे ना स्वीकारो
ना मानो इस सच्चाई को
इस से दुनिया की सोच पर
क्या फरक पड़ेगा
तुम्हारी सोच सिर्फ तुम्हारे लिए है
मत हठ करो बच्चों की तरह
तुम्हारी हठधर्मिता
बहुत दूर तक तुम्हें ही परेशान करेगी
तुम्हारे जीवन में स्याह रंग भरेगी
आनंद पाने की अभिलाषा
प्रत्येक मन में होती है
इसे कौन अस्वीकार करेगा
जिस ने भी आनंद की जगह
अपनी पीड़ाओं को उजागर किया
वही जीवन के समर में
पराजित कहलाया है
उसी ने कभी कवि बन
कभी रचनाकार बन
अपने आप को
अपने ही आँसूओं से
एकांत मे नेहलाया है
मन के भीतर कि मेरी पीड़ा
शायद तुम्हें कोई मार्ग सुझा दे
अनूठी दुनिया का कोई
जलता हुआ पाप बुझा दे
इसी कोशिश मे अक्सर
मै बहुत भटकता रहता हूँ
अपने आप को अपने भीतर
सटकता रहता हूँ
क्यूँकि दुनिया की भीड़
यहाँ हरिक अभिलाषा को
लील लेती है
आप की जुबान को
सील देती है
मत सुनना मेरी बात
मै तो स्वयं ही
कितनी बार
धोखा खा चुका हूँ
अब तक जो भी जीया
मुझॆ लगता है
मै वह गँवा चुका हूँ
मै वह लुटा चुका हूँ
अपने ही बोध में
बहुत अन्तर होता है
वह जो तुमनें मुझ मे देखा
और वह जो तुमने मुझ मे जाना
आपस मे बहुत विपरीत है
इन दोनों के बीच
एक बहुत बड़ी भीत है ।
जिसे पाट्ना ना तुम्हारे बस मे है ना मेरे
हम सभी तो बना कर बैठे हैं अपने-अपने घेरे ।
तुमने जो मुझ मे देखा
क्या वह वही होता है जो मैने जाना था ?
मै जानता हूँ मेरी बात तुम तक पहुँचते-पहुँचते
मेरे रंग की जगह
तुम्हारे रंग में रंग जाएगी
तभी तुम को भाएगी ।
हम सभी जानते हैं
हमने सत्यबोध को
तभी स्वीकारा है
जब हमें किसी ने दुत्कारा है।
हम अक्सर भय के कारण
स्वीकारते हैं उसे
क्यूँकि भय का त्रास
अक्सर उड़ा जाता है हमारा मखौल
उतार देता है हमारा
ओढा हुआ खोल
भीतर का सैलाब
सभी के भीतर बहता है
इसी लिए हमारे
हर प्रश्न के साथ प्रश्न रहता है।





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1 comment:

  1. एकदम झकास मित्र्…
    बहुत सुंदर पंक्तियाम और दृष्टिकोण्…।

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