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Wednesday, May 9, 2007

एक खत शहीदों के नाम

देश के शहीदो
तुमने अपनें लहू से
सींच कर
जिस देश को
आजाद कराया था।

जरा देखो
वहाँ कैसा
इंकलाब आया है।

चोर, ठग, डकैत और भ्रष्ट
नेता बन बैठे हैं।

देश सेवकों ने
ना मालूम कहाँ
मुँह छुपाया है।

4 comments:

  1. भाया , सब सच कह रहे हो।पर अब उन शहीदों को यो संदेसवा पहुँचावेगा कौन?

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  2. आप सही कह रहे हैं। आज़ाद हिन्दुस्तान में क्रांतिकारियों के कार्यों को उलट दिया गया है। ऐसा होना तय ही था क्योंकि वे क्रांतिकारी मुट्ठीभर थे। जब तक प्रत्येक व्यक्ति के अंतर में आमूल क्रांति घटित नहीं होगी, शेष क्रांतियाँ व्यर्थ साबित होती रहेंगी।

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  3. बहुत बढ़िया. प्रतीक जी से मैं पूर्णतः सहमत हूँ.

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  4. baalI jI अब क्या इच्छा तो इन्हे उन्के पास भेजने की हो रही है

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