Tuesday, September 4, 2007

सावधान रहे ऐसी लड़कीयों से...

पता नही मै जब भी गध में लिखने की कोशिश करता हूँ । वह लेख कभी पूरा नही हो पाता । लिखते-लिखते बीच में ही मन उचट जाता है और वह अधूरा ही रह जाता है । ऐसा एक-दो बार नही कई बार हो चुका है । ऐसे लेख ना मालूम मैने कितनी बार आरंभ किए और फिर पूरा ना करने के कारण मुझे डिलीट करने पड़े । लेकिन आज मैने ठान लिया कि कुछ भी हो जाए , आज मै अवश्य लिखूँगा । मेरे भीतर ना मालूम कितनें अनोखे और विचित्र प्रसंग व घटनाएं मन मे उधम मचाते रहते हैं कि मै उन्हें किसी से बाँटू । आज मै जो घट्ना बताने जा रहा हूँ वह एक प्रेम-प्रसंग से संबधित है ।

यह घट्ना पन्द्रह-बीस साल पुरानी है । हमारी कालोनी मे एक *** परिवार का नौजवान लड़का रहता था । वैसे तो वह बहुत चंचल स्वाभाव का ,दिल फैक किस्म का लड़का था । उसे हमेशा नारी-मित्र बनानें की धुन लगी रहती थी । इस काम में वह अक्सर कामयाब हो जाया करता था, क्यूँकि एक तो वह अच्छी कद-काठी का हट्टा-कट्टा सुन्दर गौरा व आकर्षित व्यक्तित्व का स्वामी था । दूसरा वह एक कमाऊ पूत था । अच्छी- खासी कमाई कर लेता था । जिस कारण वह दूसरो को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता था । लेकिन एक बात जो सभी उसके बारे में जानते थे कि उसने कभी किसी को नुकसान नही पहुँचाया था, बल्कि वह किसी जरूरतमंद की मदद करने को एकदम तैयार रहता था । उसे बस उनके साथ घूमने_फिरने का शोक था । लेकिन एक दिन उस के इसी शोक ने उसे एक मुसीबत मे डाल दिया ।

हमारी कालोनी से कुछ दूर एक परिवार रहता था । यहाँ मै यह बताना नही चाहूँगा कि वह किस धरम से संबध रखता था । उस परिवार में तीन बहनें अपने माता-पिता के साथ व अपने मामा के साथ रहती थी । कुछ दिन पहले ही उस नौजवान की उस परिवार से मैत्री-संबध बने थे । उन की मैत्री का कारण कोई प्रेम-प्रसंग नही था, बल्कि उस ने उन्हें अपनी बहन बनाया था । यह बात उस नौजवान की माँ ने ही हमें बताई थी । क्यूँकि उस की माँ हमारी माँ की पक्की सहेली थी । सो अक्सर उन के घर की बातें हमें पता चल ही जाती थी । यह भाई-बहन का सिलसिला लगभग चार-पाँच महीने तक ऐसे ही चलता रहा । लेकिन एक दिन अचानक उस नौजवान की माँ ने हमारे घर आ कर एक धमाकेदार खबर सुनाई कि जब से उस का उस घर मे आना-जाना शुरू हुआ है, उस नौजवान ने अपनी कमाई अपने घर देनी बन्द कर दी है । जबकि वह पहले अपनी कमाई का एक-एक पैसे का हिसाब अपनी माँ को देता था । इस खबर के महीनें भर बाद ही उसकी माँ अपनी रौनी -सी सूरत लेकर हमारे घर आई और उसने बताया कि उन के लड़के ने उसी से शादी कर ली जिसे वह अपनी बहन बताता रहा था । उस की माँ बेहद परेशान थी । वह हमारी माँ के सामने फूट-फूट कर रोनें लगी । उसे यकीन ही नही हो पा रहा था कि यह सब कैसे हो गया । इस बात की खबर कालोनी में भी फैलते देर ना लगी । जिसने सुना, वही आश्चर्यचकित हो गया । क्यूँकि सभी जानते थे कि वह नौजवान अपने माता-पिता का बहुत आदर करता था । उस की माँ ने ही बताया था कि उस के लड़के ने कभी कोई बात अपनी माँ से नही छुपाई थी, वह अच्छी-बुरी जो भी बात होती थी हमेशा अपनी माँ को जरूर बता देता था । एक दूसरी बात जो किसी को हजम नही हो पा रही थी वह यह कि जिस लड़की के साथ उसने शादी की थी वह उस की शकल-सूरत के बिल्कुल विपरीत थी । वह एकदम काली व बिगड़ेल किस्म की लड़्की थी । उस को अक्सर अवारा लड़को के साथ ही ज्यादातर घूमते देखा जाता था । वह काफि बदनाम लड़्की थी, इस लिए ज्यादातर लोग उसे जानते भी थे । उन्हे यह समझ नही आ रहा था कि वह उस लडकी के साथ शादी करनें को आखिर कैसे राजी हो गया ?

उस नौजवान की माँ अब इतनी ज्यादा परेशान रहने लगी थी,कि वह जब भी हमारे घर आती ,अपने लड़के के लिए रोने लगती थी । क्यूँ कि अब उस का लड़का अपने घर का कीमती सामान भी उठा-उठा कर उस लड़्की के घर पहूँचानें लगा था । जिस को लेकर उन के घर अक्सर झगड़े होनें लगे थे । उस की परेशानी को देख माँ ने उसे किसी सयानें से पूछने के लिए सलाह दे डाली । लेकिन क्यूँकि वह किसी ऐसे आदमी को जानती ना थी ,सो उसने बात माँ पर ही छोड़ दी कि आप ही किसी से पूछ कर इस मुसीबत से निजात दिलाएं ।


उन दिनों हमारे घर एक पंडित जी आया करते थे ,जो हाथ व जन्म-पत्री बनाने व बांचने का काम करते थे । उन्हे जो भी कोई खुशी से दान आदि देता वह वही ले लेते थे । वह स्वयं किसी से कभी कुछ माँगते भी नही थे । सो इस कारण लोग उनकी इज्जत भी बहुत करते थे और दूसरी बात उन की कही बाते व भविष्य-वाणीयां अधिकतर सत्य निकलती थी । सो यह समस्या उन्हीं के समक्ष रखी । उन्हें सारी बातों से अवगत कराया गया । सारी बातें सुन कर वे ध्यान की मुद्रा में बैठ गए । कुछ देर बाद आँखें खोल कर बोले कि वह नौजवान अपने आप मे नही है,उसे उस लड़्की के परिवार वालों ने तंत्र-विधा से अपनें कंट्रोल मे कर रखा है । इस लिए वह ऐसा व्यवाहर कर रहा है । जब हमने पंडित जी से उस से बचनें का उपाय पूछा तो उन्होनें मात्र इतना ही कहा कि जो भी उसे बचाने की कोशिश करेगा वह भी मुसीबत में फँस सकता है । लेकिन हम तो उन से उपाय जानना चाहते थे सो पूछा कि आप बस उपाय बताईएं , जैसे भी होगा हम उसे करेगें । उन्होनें कहा कि उस नौजवान की कलाई में एक धाँगा बँधा हुआ है बस उसे उसके हाथ से किसी तरह अलग कर दो वह उन के चुंगल से आजाद हो जाएगा और उस लड़की को छोड़ देगा । हमारे घर वालों ने कहा यह कौन-सी बड़ी बात है । यह काम तो कोई भी कर लेगा । लेकिन पंडित जी ने हम सब को फिर चेताया कि जो भी यह काम करेगा वह मुसीबत मे फँस सकता है,इस बात का ध्यान रखे । कुछ देर ठहर कर पंडित जी तो चले गए । लेकिन हमारी माता जी ने तुरन्त यह खबर अपनी सहेली तक पहुँचा दी ।


उस नौजावान की माँ ने सब से पहले तो यह देखा कि उस के लड़्के के हाथ में कोई धाँगा बंधा भी है या नही । लेकिन जब उसने देखा कि उस के हाथ में धाँगा बंधा हुआ है तो उसे आश्चार्य के साथ यकीन हो गया कि पंडित जी की बातें शायद सही ही होगीं कि उस के लड़्के पर जरूर कोई तंत्र-मंत्र कराया गया होगा । अतः उसने उसी समय अपनी बहन की लड़्की को बुलवा लिआ और उसे सारी बातें समझा कर, अपने भाई के हाथ मे बंधे धाँगे को उतारने के लिए कहा कि वह कैसे भी करके उस के हाथ का धाँगा उतार दे ।


कुछ ही दिनों बाद एक दिन मौका पाकर उस की मौसी की लड़की ने वह धाँगा अपने भाई के हाथ से तोड़ कर निकाल दिया । लेकिन जैसे ही उसनें वह धाँगा तोड़ा वह उसी समय बेहोश हो कर गिर पड़ी । यह देख उस का भाई उसे उठा कर सीधे अपने घर की ओर दोड़ा । यह सब देख कर उस की माँ भी भयभीत हो गई । वह अपने आप को कौसनें लगी कि क्यूँ उसने अपनी बहन की लड़की को यह सब करने को कहा । लेकिन अब क्या हो सकता था जो होना था सो हो चुका था । सो लड़्की को तुरन्त अस्पताल ले जाया गया जहाँ उसे होश में आने में पूरे दस घंटें लग गये । लेकिन इस के साथ एक और चमत्कार भी हुआ कि वह नौजवान जो बात -बात पर अपने माँ-बाप से उलझ पड़ता था । अब पहले की तरह ही सहज हो गया था और उसी दिन लड़की को छोड़ अपने घर लौट गया था । लेकिन लड़की के घर वालों ने जब उसे परेशान करना शुरू किया तो वह देश छोड़कर विदेश चला गया और वही बस गया ।


आप सोच रहे होगें कि क्यों मैने यह घटना यहाँ प्रेषित की ? वह इस लिए की यदि कभी आप के बच्चों के साथ कभी ऐसी परिस्थिति आए तो आप सावधान रहें और इस बात की जाँच कर ले की कही कोई तांत्रिक प्रयोग तो आप के बच्चे या बच्ची पर तो नही कर रहा । जब भी कोई व्यक्ति अनायास अपने स्वाभाव के उलट आचरण करने लगे तो आप को इस बात की सावधानी अवश्य बर्तनी चाहिए । मै जानता हूँ कि मेरे कुछ भाई-बहन मेरी इस बात से सहमत नही होगें और कुछ भाई-बहन मुझे अंधविश्वास फैलानें का दोषी भी ठहराएगें । मेरी अलोचना भी करेगें। लेकिन मैने यहाँ सिर्फ अपनें सामनें घटी एक सत्य-घटना का ही ब्यान किया है । (सिर्फ इन के असली पात्रों का परिचय नही दिया ) उसे आप अपने विवेकानुसार चाहे तो मानें, या ना मानें, यह आप पर निर्भर करता है ।



चिट्ठाजगत पर सम्बन्धित: धर्म, जन्म-पत्री, भविष्य-वाणीयां, तंत्र-विधा, लड़की, प्रेम-प्रसंग, तंत्र-मंत्र, आचरण, चमत्कार, अस्पताल, विदेश, माँ-बाप, अलोचना, तांत्रिक-प्रयोग, सत्य-घटना, अंधविश्वास, परिचय, लेख, कहानी, प्रसंग, परमजीत, बाली, दिशाएं, विवेक,

7 comments:

  1. बहुत साल पहले दूरदर्शन पर एक सीरियल आता था होनी अनहोनी - उसी की याद आ गयी और क्या कहूं। आपने खुद ही कह दिया, 'कुछ भाई-बहन मुझे अंधविश्वास फैलानें का दोषी भी ठहराएगें'। यह सब होता नहीं है।

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  2. आपका कहना सही है कि बच्चों के विषय में सतर्क रहना चाहिये
    दीपक भारतदीप्

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  3. अंधविश्वास- या - विश्वास यह सब तो मन की बातें हैं-

    मानो तो मैं गंगा माँ हूँ..
    ना मानो तो बहता पानी.

    बाकि वो आधी अधूरी कहानियाँ डिलिट मत किया किजिये बल्कि कुछ अधूरी कहानियाँ शीर्षक बना कर पोस्ट कर दें कि जिसे पूरी करनी हो कर ले. बुनो कहानी की तर्ज पर. :)

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  4. किसी चीज पर विश्वास करने या न करने से पहले उसका ग्यान होना भी आवश्यक है । सब कुछ हो सकता है व नहीं भी हो सकता है ।
    घुघूती बासूती

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  5. हम सब भौतिक जगत के इतने आदी हो गये हैं कि उसके परे जो तथ्य हैं (या जो हो सकते हैं) उनको नकारना एक फैशन सा बन गया है.

    परंमजीत भाई, आप तो हिम्मत के साथ लिखते रहें, हम ध्यान से पढ रहे हैं -- शास्त्री

    मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
    2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार !!

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  6. परमजीत जी निश्चिंत होकर लिखिए, कुछ लोगों की तो आदत इस तरह की बातें नकारने।

    अपना अनुभव साझा करने के लिए धन्यवाद!

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  7. सचमुच बात पते कि है चाहे माने या न माने ...न चाहते हुए भी मानने को मन करता है...वैसे एक और बात जो इससे निकलती है हमे उस इन्सान पर जरूर ध्यान देना चाहिये जिसके स्वभाव मॆ अचानक परिवर्तन आने लगा है...

    सुनीता(शानू)

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