जब यादें सताती हैं ये बहुत रोता है।
सोचता था किसी दिन सब भूल जाऊँगा
मालूम नही है मुझे , ये कैसे होता है।
कह्ते हैं शराब ग़म भुलानें का जरिया है
जब भी पी,ज्यादा तड़पता हुआ ये लौटा है।
लाख ख्वाईशें करो जन्नत की बहारों की
जमानें की कही हर बात सच नही होती
वही मिलता है, आदमी जैसा बोता है।
लाख ख्वाईशें करो जन्नत की बहारों की
सभी का एक-सा नसीब नही होता है।
जमानें की कही हर बात सच नही होती
वही मिलता है, आदमी जैसा बोता है।