Tuesday, July 22, 2008

कुत्ते की मौत

अपनी गली में
एक घर के बाहर
कुत्ते को रोते देख कर
परेशान हो गया।

वह कुत्ता रोता बिलखता

तड़प-तड़प कर सो गया।


इस से पहले मैनें कभी कुत्ते को

मरते ना देखा था

बस लोगो को कहते सुना था
एक दिन ऐसा आएगा
शैतान ,
कुत्ते की मौत मारा जाएगा।



वह कुत्ता तो शैतान ना था।

वह सदा रात-रात भर जाग कर,

लोगो की सेवा करता रहा।

उस की मौत पर

किसी आँख से एक आँसु ना बहा।



शायद इसी लिए लोग

कुत्ते की मौत मरना

पसंद नही करते।

क्यूँकि वह जानते हैं

कुत्ते जैसी सेवा वह ना कर पाएगें।

वह तो एक-दूसरे के परदे ढापनें के लिए

सदा एक-दूसरे की अर्थी सजाएगें।


15 comments:

  1. बहुत भावपूर्ण और गहरी कविता, बधाई.

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  2. आपकी यह रचना वाक़ई संवेदनशील है!

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  3. क्या बात हे परम जीत जी कितनी गहरी बात आप ने कविता के रुप मे कह दी, धन्यवाद इस सुन्दर कविता के लिये

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  4. बहुत हृदयस्पर्शी कविता है. धन्यवाद!

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  5. सदा एक-दूसरे की अर्थी सजाएगें।

    बहुत गहराई से लिखी है !
    शुभकामनाए !

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  6. बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना
    दीपक भारतदीप

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  7. कई दिनों बाद आपके ब्लाग पर आना हुआ है पर पढ़ कर बहुत कुछ सोचने पर मजबूर हो गया हूँ.

    बधाई.

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  8. सुन्दर और गहरी रचना

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  9. अच्छी ,संवेदन शील , और समर्थ रचना के लिए बहुत बधाई और प्रोत्साहन की लिए आभार
    स्नेह बनाए रखें परमजीत जी

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  10. vha parmjeet ji, aesi baato ko likhana hi bhut badi baat hai.

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  11. वाह बहुत ही मर्मस्पर्शी कविता है..!!

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  12. ठीक बात लिखी है। कुछ ऐसा ही मेरे मन में भी आया, ऐसी ही घटना देख कर।

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  13. abe tumharee gaharee kahaneee ki m.... yae sab kya bakhch... ho rahi hai yahan pae... mujhe to

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  14. apne approval ko apne paas rakh lae bhai jo bhi isko manage kar raha hai... yae sala bhi kuch approval ki cheez hai...
    lae mera mail id: kunalsehgal_24@yahoo.co.in

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