Monday, June 4, 2007

कोई तो इस आग को बुझाओं

आज देश मे चारो ओर गूजर अंदोलन की आग लगी हुई है। अंदोलन करना गलत नही है क्यूँकि हमारे नेता बहरे हैं।उन्हे सुनाई कम देता है। लेकिन देश की जो संपत्ति अंदोलन के नाम पर जला कर स्वाह कर दी जाती है ,उस का खामियाजा पूरे देश को भरना पडता है। उसे बचाने के लिए ऐसे अंदोलनकारीयों से सख्ती से निपट्ना चाहिए।यह सरकार का दायित्व है कि देश की संपत्ति की रक्षा करें। उन्हे सजा दे जो ऐसा करते हैं।
जो अंदोलनों के नाम पर सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान करते हैं उस का पूरा मुआवजा उन अंदोलनकारीयों से वसूला जाना चाहिए जो देश की संपत्ति को जलाते या तोड़-फोड़ करते पाए जाए।इस की वसूली के लिए उन की संपत्ति तक जब्त कर लेनी चाहिए। तभी वे सुधर सकते हैं। वर्ना जितना देश आगे जाता है(वैसे भी कछुआ चाल से) उस से ज्यादा पीछे चला जाता है। ऐसे मे देश का क्या होगा ?
आप इस बारे मे क्या सोचते हैं। अपने विचार टिप्पणीयो द्वारा जरूर बताएं। हम सभी जानते हैं कि हमारे सोचने से कुछ बदलने वाला नही, जब तक की हमारे देश के कर्णधार नही सुधरेगें। और हम पूरी तरह जागरूक नही होगें।लेकिन अपने देश का कुछ तो कर्ज अदा करने की कोशिश तो करनी ही चाहिए।दूसरो को ना सही अपने को तो सुधार सकते हैं। कि जिस कारण से किसी भी अंदोलन को भड़्कानें मे मदद मिलती हो ऐसे शब्दों का हम इस्तमाल ना करें।

4 comments:

  1. Namaskar Paramjeetji,
    Please send your email address to shukla_abhinav at yahoo.com

    I need to contact you regarding publishing of your poem.

    Regards
    Abhinav

    ReplyDelete
  2. ये तोड़-फोड़ करने वाले जरा भी नही सोचते है की उनकी वजह से दूसरों को कितनी परेशानी होती है। आपने सही कहा है कि ऐसे लोगों को सजा मिलनी चाहिऐ ।

    ReplyDelete
  3. सजा मिलने का तो प्रश्न ही नहीं उठता । बल्कि इस लड़ाई, मारम मार में जो घायल होंगे या जान गवाँते हैं उन्हें मुआवजा भी मिलेगा ५ लाख का । सबको बराबर चाहे वह बेचारा बस का यात्री हो या आग लगाने वाला ।
    घुघूती बासूती

    ReplyDelete
  4. परमजीत जीं
    बहुत दिन से आपकी रचनाएं नहीं देख रहीं और न ही आपने हमारे ब्लोग देखे ,क्या हमसे नाराजगी है। अगर आप यह ब्लोग लाईन छोड़ गये तो फिर हम भी चुप बैठ जाएँ। कहीं और लिखने लगे तो हमें भी बताओ। आपके बिना मजा नहीं आ रहा। आप इसे ब्लोग पर पब्लिश नहीं करना, क्योंकि यह हमारी व्यक्तिगत चिट्ठी आपके नाम है और जवाब के लिए आपना ईमेल भी लिख रहें हैं, आपने हमने यहां खड़ा कर दिया और खुद नदारद हो गये, या कोई और ब्लोग चला रहे हैं । बताईयेगा जरूर ।
    आपका मित्र
    दीपक भारतदीप
    ईमेल
    rajdpk113@gmail.com

    ReplyDelete

आप द्वारा की गई टिप्पणीयां आप के ब्लोग पर पहुँचनें में मदद करती हैं और आप के द्वारा की गई टिप्पणी मेरा मार्गदर्शन करती है।अत: अपनी प्रतिक्रिया अवश्य टिप्पणी के रूप में दें।