Sunday, July 12, 2009

बिखराव



अब तो अपने भीतर ही
अपनी साँसों से
जख्म होनें लगे हैं।
जो सजाए थे
मैने सपने कभी
वे रोने लगे हैं।
जरा -सी हवा के
झोकों से बिखर जाएंगे।
शायद फिर कभी
लौट कर ना आएगे।
यही सोच अब
सपनो मे रंग नही भरता।
लगता है कोई सपना
अब मेरा नही मरता।

आज की रात
चाँद भी बहुत उदास है।
लेकिन मेरे लिए
यह रात खास है।
बादलों का छेड़ना
चाँद को नही भाता।
उस को शायद
दिल लगाना नही आता।

प्यास गहरी हो
ओंस भी पी जाओगे।
शिकायत अपनों से
कैसे कर पाओगे?
मेरे मन उदास तुम
कभी मत होना।
अब अकेले में बैठ
मत रोना।

17 comments:

  1. बहुत जबरदस्त बात कह गये, बधाई!!

    ReplyDelete
  2. बहुत ही भाव भरी प्रस्तुति आपकी,
    बधाई हो आपको इस सुंदर रचना के लिए..

    ReplyDelete
  3. arse baad badh padh rahaa hun magar kya khoob kalam chalaayee hai aapne .... waah bahot bahot badhaayee shahib...


    arsh

    ReplyDelete
  4. अपनी ही सांस से ज़ख्म होने लगे हैं.......
    बहुत ही अच्छे भाव
    यूँ तीनों क्षणिकाएं ही बहुत अच्छी हैं

    ReplyDelete
  5. teno अपने अपने रंग से bahri huyee........... lajawaab rachnaayen हैं ........ mazaa aa गया

    ReplyDelete
  6. waah tino rachanaye bahut hi lajawab hai,khas kar chandwali bahut pasand aayi.

    ReplyDelete
  7. bahut hi shandar abhivyakti hai........har kshnika lajawaab

    ReplyDelete
  8. आदरणीय बाली जी ,
    आपकी तीनों ही रचनाएँ सुन्दर भावों को संजोये हैं ...बधाई .
    पूनम

    ReplyDelete
  9. सरल और सुन्दर रचनायें जी।
    धन्यवाद।

    ReplyDelete
  10. मेरे मन उदास तुम
    कभी मत होना।
    अब अकेले में बैठ
    मत रोना।
    ---------
    आपने तो यह निदान बता दिया उदासी का मित्र।

    ReplyDelete
  11. baali jee ek baar nahin baar baar padha hai teeno ko bahut khoobsurat kashanikayen hain badhaai

    ReplyDelete
  12. आदरणीय बाली जी ,
    आपकी तीनों ही कवितायेँ बहुत अच्छी लगीं ....कम शब्दों के बावजूद एक अलग प्रभाव डालने वाली.
    हेमंत कुमार

    ReplyDelete
  13. सपनो में रंग नहीं भरता
    खूब कल्पना है उदासी भरी लेकिन आज के माहौल मे सच

    ReplyDelete
  14. Hi,

    Thank You Very Much for sharing this informative and also effective article here with us...

    Somnath | Junagadh District | Gir National Park

    ReplyDelete
  15. बहुत ही शानदार प्रस्तुति , तीनो क्षणिकाये बहुत ही सुन्दर ,

    बधाई आपको

    सादर
    राकेश

    ReplyDelete
  16. ... प्रसंशनीय रचनाएँ, बधाईंयाँ !!!

    ReplyDelete

आप द्वारा की गई टिप्पणीयां आप के ब्लोग पर पहुँचनें में मदद करती हैं और आप के द्वारा की गई टिप्पणी मेरा मार्गदर्शन करती है।अत: अपनी प्रतिक्रिया अवश्य टिप्पणी के रूप में दें।