Thursday, December 10, 2009

मौहब्बत और फैंशन.



मौहब्बत से कहो, बातें तेरी सब मान लेते हैं।
मगर हर बात पर क्यूँ , हमारी जान लेते हैं।

बहुत उम्मीद थी, राहों में, चिरागे रोशनी होगी,
मगर हर बार अंधेरों का दामन थाम लेते हैं।

बहुत मजबूर हैं दिल से, यहाँ चलना जरूरी है,
ठहर जाए अगर कोई, मुर्दा मान लेते हैं।

अज़ब दस्तूर यारों दुनिया का ,अब चलन में है,
पैसों से मौहब्बत को, सभी पहचान लेते हैं।

वादों कसमों औ’ दिल की , कीमत नही लगती,
परमजीत तोड़ना इनको अब फैंशन मान लेते हैं।

16 comments:

  1. वाह परमजीत...

    ठहर जाये अगर कोई, मुर्दा मान लेते हैं.

    क्या बात है.

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  2. बहुत खूब , गजल की एक-एक पंक्ति लाजबाब है !

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  3. ठहरना नहीं है.....वरना अस्तित्व नगण्य .......
    बहुत अच्छी अभिव्यक्ति

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  4. bahut hi jordar gazal likhi hai..........sabhi sher jandar aur dil ko chhoo gaye.

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  5. अजब दस्तूर यारो दुनिया का ----- शेर बहुत अच्छा लगा इतनी सुन्दर गज़ल पढवाने के लिये धन्यवाद और शुभकामनायें

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  6. .... बेहद जानदार-शानदार अभिव्यक्ति !!!!

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  7. बहुत मजबूर हैं दिल से यहाँ चलना जरूरी है
    ठहर जाए अगर कोई मुर्दा मान लेते हैं
    --वाह क्या शेर है
    यही भाव लिए एक शेर कहीं पढ़ा था-
    लाश थी इसलिए तैरती रह गई
    डूबने के लिए ज़िंदगी चाहिए।

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  8. paramjit jee, aap to kamal hai...aap kahte hai ki kya likhu...

    neend se hai jaange, aakhen band si thi
    ye savera kahi, aape sabdo se to nahi.

    sachi mujhe aapke margdarshan ki sakt jaroorat hai..abhi mai kuch khas to nahi likh raha per apne purane kavitaoo ko blog me dal raha hu...

    plz apne paramarsh mujhe dete rahe...

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  9. बहुत मजबूर हैं दिल से यहाँ चलना ज़रूरी है
    ठहर जाए अगर कोई मुर्दा मान लेते हैं

    बहुत अच्छा!

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