Monday, September 24, 2012

दो सच्चाईयां....



जब भी कोई सच बोलता है
जो कभी सही लगता था।
वह भी गलत लगने लगता है।
सोचता हूँ -
या तो सच सुनना छोड़ दूँ
या फिर सोचना छोड़ दूँ।
लेकिन मेरे छोड़ देने से
कुछ बदल तो ना जायेगा।

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किसी ने मुझसे पूछा-
आदमी और जानवर में 
क्या अंतर है?
बहुत सोचने के बाद भी
फर्क नही कर पाया।
दोनों एक-से लगते हैं।
इसका जवाब 
एक बच्चे ने दिया-
"सिर्फ पूँछ का।"

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9 comments:

  1. बच्चे का जवाब सही था..गहन अभिव्यक्ति..

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  2. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल २५/९/१२ मंगलवार को चर्चाकारा राजेश कुमारी के द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है

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  3. badhiya ...jaante hain sach kyon nahi lagta...kyonki insan sach par vishvas nahi karta...jhoothh par to kabhi avishvas nahi karta....

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  4. बच्चे ही सच बोलते हैं । सुंदर प्रस्तुति ।

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