Monday, October 6, 2008

डरते क्य़ूँ हो........


इश्क की राह पे चलनें से, डरते क्यूँ हो।
बैठे इंतजार घर पे तुम, करते क्यूँ हो।

दूर से तुम को कोई, दे रहा, सदाएं है,
अनसुना हर घड़ी इसको करते क्यूँ हो।

माना इश्क में हर हाल में रोना होगा,
रोना किस्मत है तेरी तो, डरते क्यूँ हो।

हरिक आशिक को मंजिलें नहीं मिलती,
मौत आनें से पहले ,तुम मरते क्यूँ हो।

खोया-पाया, हिसाब इस का, क्या रखें,
खाली आया था,फिकर, करते क्यूँ हो।

गर इंतजार उसका, नहीं तुम से होता है,
परमजीत जानकर आहें! भरते क्यूँ हो।

इश्क की राह पे चलनें से, डरते क्यूँ हो।
बैठे इंतजार घर पे तुम, करते क्यूँ हो।



20 comments:

  1. वाह वाह!! क्या बात है. बहुत बेहतरीन!!

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  2. so touching poetry with soft loving thoughts"
    इश्क मे आंसू है, तनहाई है, वीराना है,
    फ़िर भी लेके नाम उसका दम भरते क्यूँ हो ...

    regards

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  3. हरिक आशिक को मंजिलें नहीं मिलती,
    मौत आनें से पहले ,तुम मरते क्यूँ हो।
    bahut khoob, sunder

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  4. कमाल की रचना परम जीत जी...बहुत दिनों बाद आपको पढ़ा और मजा आ गया...
    नीरज

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  5. बहुत खूब-
    खोया-पाया, हिसाब इस का, क्या रखें,
    खाली आया था,फिकर, करते क्यूँ हो।

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  6. perfectly expressed dear
    regards
    do visit my blog
    makrand-bhagwat.blogspot.com
    regards

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  7. इश्क तो पुजा है ! मीरा इसी इश्क मे दिवानी हो गई थी... क्या बात है
    धन्यवाद

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  8. आप भी कम गजब नहीं ढाते हैं. बेहतरीन!! पुनः आपको बधाई,

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  9. तीर स्नेह-विश्वास का चलायें,
    नफरत-हिंसा को मार गिराएँ।
    हर्ष-उमंग के फूटें पटाखे,
    विजयादशमी कुछ इस तरह मनाएँ।

    बुराई पर अच्छाई की विजय के पावन-पर्व पर हम सब मिल कर अपने भीतर के रावण को मार गिरायें और विजयादशमी को सार्थक बनाएं।

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  10. tabaah kar Dala zalim tune mere dil ko
    warna yeh bhi kabhi tujh se aabaad tha

    derii se aane ke liye mauaafi chahoomga... vijaydashami ke liye mangal kaamanaayein!

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  11. paramjeet ji bahut badiya likha hai aapne.kuch kehne ki shabd nahi.bahut bahut badahai

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  12. kay bat hai ... love ..... ... बहुत ही अच्छा ... समय निकल कर मेरी नई रचनाए पर भी पधारे

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  13. बहुत सुन्दर रचना है, पढकर मजा आ गया... रो रहे आशिकों को प्रेरणा दे रही है।

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  14. बुढ़ापे में इश्क हो जाए तो मुश्किल होगी,
    इश्क की बात कर हमें डसते क्यों हो.

    आभार.

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  15. sach hai khone paane ka kya hisaab karna,
    aur kya darna....bahut achhi rachna

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  16. खोया-पाया, हिसाब इस का, क्या रखें,
    खाली आया था,फिकर, करते क्यूँ हो।

    सीधे सादे शब्दों मैं
    बहूत बड़ी बात कह दी आपने
    साधूवाद...........

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  17. पढ़ने से चुक गया था, आज देखा, आपने इश्‍क के नाजुक घड़ी को खूबसूरत शब्‍दों में पि‍रोया है। सुंदर।

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  18. वाह क्या खूबसूरत कविता है यह। मजा आ गया पढ कर।हमने तो अभी हिन्दी में लिखना दो चार साल से शुरु किया है।

    हम वैसे तो इंगलिश में लिखते है"सुलेखा ब्लॉग" पर।मैं उम्मीद करता हूं कि आप अब तशरीफ लाएंगे मेरे ब्लाग

    "थाट मशीन" पर। यह मेरा हिन्दी रचनाओं का ब्लॉग है। दूसरा इंगलिश की रचनाओं क ब्लॉग है। नाम है "स्टेम॓।

    कृप्या आप मेरी हिन्दी रचनाएं भी पढें और टिप्पणी किजीए। मेरा लिंक हैः-

    http://rajee7949.blogspot.com/

    धन्याबाद। "राजी कुशवाहा"

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  19. हरिक आशिक को मंजिलें नहीं मिलती,
    मौत आनें से पहले ,तुम मरते क्यूँ हो।

    thats the top notch thinking. I really like the message. Congrats.

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